For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दुखियारी आँख - एक कुंडली छंद

मोहि दुखियारी आँख को,सुक्ख मिलत है नाहि  

देखत तुम बनते नहीं,बिन देखे अकुलाहि 
बिन देखे अकुलाहि, सजन को कहाँ निहारै  
होवेंगी कब चार , मिलन की राह बुहारै 
कह सागर कविराय,हुयी है अँखियाँ भारी, 
कबहुं मिलोगे मोय,पूछहि मोहि दुखियारी 
.
आशीष ( सागर सुमन ) 
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 598

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 29, 2013 at 9:29am

सुन्दर भाव लिए छंद रचना के लिए बधाई श्री आशीष जी 

Comment by Neeraj Neer on September 28, 2013 at 8:48am

सुन्दर कुण्डलियाँ बधाई 

Comment by ram shiromani pathak on September 27, 2013 at 4:53pm

सुन्दर प्रस्तुति भाई जी  बधाई आपको //सादर  

Comment by Saarthi Baidyanath on September 27, 2013 at 12:13pm

भाव-प्रवण से ओतप्रोत एक सुन्दर विरह रचना ...! नमन व बधाई :)

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 27, 2013 at 11:56am

आशीष भाई कुण्डलिया के भाव बहुत ही सुकोमल है शिल्प , कसावट और प्रवाह पर तनिक और ध्यान देने की आवश्यकता है, आनंद आते आते रह गया भाई जी, खैर इस प्रयास पर बधाई स्वीकारें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 26, 2013 at 9:20pm

आदरणीय आषीश भाई , सुन्दर कुंडलिया रची है आपने !! हार्दिक बधाई !!

Comment by Abhinav Arun on September 26, 2013 at 5:22pm

सुन्दर सुखद सुखकर रचना हार्दिक बधाई १!

Comment by रविकर on September 26, 2013 at 5:10pm

चक्षु होंय कब चार -

मोहि पूछहि दुखियारी ||

गेयता के लिए उपाय करें आदरणीय-

शुभकामनायें
सुन्दर भाव

Comment by annapurna bajpai on September 26, 2013 at 12:54pm

वाह !! आ0 सुंदर कुंडली छंद , बधाई आपको । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service