मोहि दुखियारी आँख को,सुक्ख मिलत है नाहि
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सुन्दर भाव लिए छंद रचना के लिए बधाई श्री आशीष जी
सुन्दर कुण्डलियाँ बधाई
सुन्दर प्रस्तुति भाई जी बधाई आपको //सादर
भाव-प्रवण से ओतप्रोत एक सुन्दर विरह रचना ...! नमन व बधाई :)
आशीष भाई कुण्डलिया के भाव बहुत ही सुकोमल है शिल्प , कसावट और प्रवाह पर तनिक और ध्यान देने की आवश्यकता है, आनंद आते आते रह गया भाई जी, खैर इस प्रयास पर बधाई स्वीकारें
आदरणीय आषीश भाई , सुन्दर कुंडलिया रची है आपने !! हार्दिक बधाई !!
सुन्दर सुखद सुखकर रचना हार्दिक बधाई १!
चक्षु होंय कब चार -
मोहि पूछहि दुखियारी ||
गेयता के लिए उपाय करें आदरणीय-
शुभकामनायें
सुन्दर भाव
वाह !! आ0 सुंदर कुंडली छंद , बधाई आपको ।
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