For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सावन संग होड़ ( कुण्डलिया )

कुण्डलिया 

सावन संग आज लगी, सखी नैन की होड़|

मान हार कौन अपनी, देत बरसना छोड़||

देत बरसना छोड़, नैन परनार बहे हैं |

कंचुकि पट भी भीज , विरह की गाथ कहे हैं ||

पड़े विरह की धूप, जले है विरहन का मन|

हिय से उठे उसाँस, बरसे नैन से सावन ||

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 644

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 28, 2013 at 12:12am

आदरणीया शालिनीजी,

अभी कुछ दिनों पूर्व कुण्डलिया छंद पर आदरणीया सरिताजी से जो कुछ कहा, चाहूँगा, उसे आप भी पढ़ लें. लिंक दे रहा हूं --

http://www.openbooksonline.com/profiles/blogs/5170231:BlogPost:437713

आदरणीय रविकर जी की सुझायी गयी कुण्डलिया से उपरोक्त आशय का मिलान कर देखें..

सादर

Comment by ram shiromani pathak on September 27, 2013 at 5:16pm

बहुत ही सुन्दर कुण्डलिया छंद आदरणीया  //हार्दिक  बधाई आपको //सादर

Comment by shalini rastogi on September 24, 2013 at 11:14pm

अरुन शर्मा 'अनन्त' जी आपकी शुभेच्छा के लिए हार्दिक धन्यवाद!

Comment by shalini rastogi on September 24, 2013 at 11:13pm

आदरणीय सर रविकर  जी .. कुंडलिया रचाने में तो आप बेजोड हैं .. आपके द्वारा बताया गया परिवर्तन बहुत मोहक लगा .. आगे से गेयता का ध्यान रखने का प्रयास करुँगी |

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 24, 2013 at 11:07pm

आदरणीया शालिनी जी बेहद सुन्दर कुण्डलिया छंद इस हेतु ढेरों बधाइयाँ स्वीकारें बाकी रविकर सर एवं आदरणीय बागी भ्राताश्री जी ने सब कुछ कह ही दिया है.

Comment by shalini rastogi on September 24, 2013 at 10:16pm

annapurna bajpai जी एवं SANDEEP KUMAR PATEL जी .. आप दोनों का बहुत बहुत आभार व्यक्त करती हूँ!

Comment by shalini rastogi on September 24, 2013 at 10:13pm

Er. Ganesh Jee "Bagi" आदरणीय सर, आपके सुझावों पर अमल करने का प्रयास करुँगी |

सधन्यवाद

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 24, 2013 at 4:35pm

आदरणीय बहुत ही सुन्दर रचना
आदरणीय रविकर सर का सुझाव उत्तम लगा
जय हो

Comment by annapurna bajpai on September 24, 2013 at 4:09pm

वाह !!! आ0 शलिनी जी बहुत ही सुंदर कुण्डलिया , बहुत बधाई आपको ।

Comment by रविकर on September 24, 2013 at 9:15am

आदरेया -
उत्कृष्ट भाव
शुभकामनायें-
गेयता बाधित है-
कृपया कुछ इस प्रकार का परिवर्तन करके देखें-
सादर-


सावन से लग ही गई, सखि-नैनों की होड़|
हार मानते वे नहीं, दोनों ही बेजोड़ ||
दोनों ही बेजोड़ , नैन परनार बहाए |
कंचुकि पट भी भीज , विरह की गाथा गाये |
पड़े विरह की धूप, जले है विरहन का मन|
हिय से उठे उसाँस, नैन से बरसे सावन ||

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया लक्ष्मण भाई।"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये अमित जिनकी टिप्पणी से सीखने को मिला…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service