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फासलों का यह किनारा और है। ……… गजल

आज से रस्ता हमारा और है
साथ चलने का इशारा और है
.
चल रही ऐसी यहाँ पर आंधियाँ
घर का बिखरा ये नजारा और है
.
या खुदा रहमत नहीं अब चाहिए
फासलों का ये किनारा और है
.
ख्वाहिशों को तोडा था तुमने कभी
फिर भी दिल ने हाँ पुकारा और है
.
हर ख़ुशी मिलती नहीं टकराव से
हार जाने का इजारा और है
.
भूल जायेंगे चलो दुख की निशा
प्यार के सुख का सहारा और है
.
जीत लेंगे मुश्किलों की रहगुजर
होसलों का अब नजारा और है

----- शशि पुरवार

मौलिक और अप्रकाशित

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Comment

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Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 23, 2013 at 11:23pm

जीत लेंगे आपदो की रहगुजर

होसलों का अब नजारा और है......वाह! बहुत सुंदर

उम्दा गजल पर बधाई स्वीकारे आदरणीया शशि जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 23, 2013 at 10:46pm

आदरणीया शशि जी , उम्दा ग़ज़ल कही है आपने !! हार्दिक बधाई !!

Comment by annapurna bajpai on September 23, 2013 at 10:36pm

आ0 शशि जी बहुत खूबसूरत गजल , बधाई आपको ।

Comment by राज लाली बटाला on September 23, 2013 at 9:31pm
आज से रस्ता हमारा और है

साथ चलने का इशारा और है...................बहुत सुन्दर गज़ल ! हार्दिक बधाई !!शशि जी !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 23, 2013 at 8:48pm

२ १ २ २ २ १ २ २ २ १ २
बह्र ----रमल मुसद्दस महजूफ़
प्रिय शशि बहुत सुन्दर ग़ज़ल लिखी है
खुशियाँ मिलती नहीं टकराव से
हार जाने का इजारा और है ---बहुत बढ़िया शेर वाह
बढ़िया ग़ज़ल हेतु दाद कबूलें सखी

Comment by Meena Pathak on September 23, 2013 at 7:39pm
खुशियाँ मिलती नहीं टकराव से

हार जाने का इजारा और है ................बहुत सुन्दर गज़ल .. बधाई आप को 

Comment by Abhinav Arun on September 23, 2013 at 6:06pm
आज से रस्ता हमारा और है
साथ चलने का इशारा और है
.
चल रही कैसी हवा की आंधियाँ

घर का बिखरा ये नजारा और है

 .....अच्छी भाव पूर्ण ग़ज़ल हुई है आदरणीया शशि जी हार्दिक बधाई !!

Comment by vijay nikore on September 23, 2013 at 6:03pm

इस बहुत खूबसूरत गज़ल के लिए बधाई।

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on September 23, 2013 at 5:30pm

एक निहायत ही खुबसूरत गजल बनी है , मन की आशाओ, संवेदनाओं और वेदनाओ का बेहतरीन समावेश है ! बधाई आपको


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 23, 2013 at 5:18pm

वाह बहुत खूब, आदरणीया शशि जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिये दाद कुबूल करें,
एक निवेदन है बह्र का उल्लेख भी साथ में करें तो सीखने में आसानी होगी

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