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गणेशोत्सव- हे विघ्न विनाशक  

अनाचार है, अत्याचार है, गणपति इसका निदान करें।

कुछ न सूझे तो हे बप्पा , मेरे कथन पे विचार करें॥

विघ्न डालें उनके कार्य में, जो हैं देश के भ्रष्‍टाचारी ।

लेकिन उन्हें निराश न करना, द्वार जो आए सदाचारी॥

नवरात्रि

न फूहड़ वस्त्र न बेशर्मी, सब कुछ शुभ हो त्योहारों में।

गरबा हो या नृत्य कोई , तन हो पवित्र त्योहारों में॥

खेल नहीं है माँ की पूजा, विधि विधान का ध्यान रखें।

माँ की कृपा मिल जाएगी, मन हो पवित्र त्योहारों में॥

दीपावली- हे लक्ष्मी मैया

 

जो सज्जन हैं भक्त तुम्हारे, तेरी दया को तरसते हैं।

बेईमान, अधर्मी, भ्रष्‍टाचारी, तेरी कृपा से पनपते हैं॥

धनवान बनाने का मैया , अंदाज बड़ा ही निराला है।

देश में जितना धन सफेद है, उससे ज्यादा काला है॥

 

**************************************************

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव, धमतरी

मौलिक / अप्रकाशित

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Comment

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Comment by annapurna bajpai on September 10, 2013 at 9:46pm

आदरणीय अखिलेश जी सभी त्योहारो पर बढ़िया भावभिव्यक्ति , आपको बहुत बधाई ।

Comment by vijayashree on September 10, 2013 at 12:45pm

विघ्न डालें उनके कार्य में, जो हैं देश के भ्रष्‍टाचारी ।

लेकिन उन्हें निराश न करना, द्वार जो आए सदाचारी॥.......बहुत खूब 

खेल नहीं है माँ की पूजा, विधि विधान का ध्यान रखें।

माँ की कृपा मिल जाएगी, मन हो पवित्र त्योहारों में॥ ......पवित्र  भावनाओं से की गई पूजा में ही सार्थकता है 

धनवान बनाने का मैया , अंदाज बड़ा ही निराला है।

देश में जितना धन सफेद है, उससे ज्यादा काला है॥ ......सत्य  कहा 

 

अति सुंदर प्रार्थनाएँ 

बधाई स्वीकारें अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी 

Comment by विजय मिश्र on September 10, 2013 at 11:53am
बिन्दू सभी सजग करने वाले ,विचारनीय और उत्सवों पर सुधरने का आह्वान भी . बहुत सुंदर रचना .बधाई अखिलेशजी .

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 9, 2013 at 9:46am
आदरणीय बड़े भाई , बहुत सार्थक और सुन्दर प्रार्थना !!! शायद यह मुक्तक है !!बहुत बहुत बधाई !!

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