For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तपती वसुन्धरा  में 
श्रम सक्ती के समन्वय रूपी खाद में
निर्माणों के

विशालकाय पेंड़ो को रोपता है
अपने कंधो के सहारे ढोता है

गरीवी का बोझ
जिसमे उसका स्वाभिमान

दबा हैं , कुचला है
मन अनंत गहराईयों में

डूबता उतराता चुप है
शांति समर्पण की अदभुत मिशाल "मजदूर "
वर्तमान भारत में खो गया है
निर्माणों के अंधे युग में  आज
निर्माण से ही दूर हो गया है


मौलिक /अप्रकाशित
दिलीप तिवारी  रचना -८ /९/१ ३

Views: 601

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by दिलीप कुमार तिवारी on September 12, 2013 at 9:29pm

"आदरणीय राम शिरोमणि जी आपका हार्दिक आभार!"

Comment by दिलीप कुमार तिवारी on September 12, 2013 at 9:28pm

आदरणीया प्राची जी रचना पढ़ने के लिए ह्रदय से आभार ......

Comment by ram shiromani pathak on September 11, 2013 at 8:30pm

बहुत सुन्दर मर्मस्पर्शी रचना //हार्दिक बधाई आपको आदरणीय तिवारी जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 11, 2013 at 4:10pm

"मजदूर "
वर्तमान भारत में खो गया है 
निर्माणों के अंधे युग में  आज 
निर्माण से ही दूर हो गया है

बहुत सुन्दर मर्मस्पर्शी कथ्य.संवेदन शील सामाजिक लेखन पर बहुत बहुत बधाई 

कुछ टंकण त्रुटियाँ रह गयी हैं , उन्हें अवश्य ही सुधार लें 

शुभेच्छाएँ 

Comment by दिलीप कुमार तिवारी on September 11, 2013 at 12:19am

मुझे आप लोगो  द्वारा दिया गया कमेंट मेरे लिए आशीर्वाद है जो मेरे कविता को नयी दिशा देगा सादर
प्रणाम के साथ आभार ........................

Comment by annapurna bajpai on September 10, 2013 at 1:38pm

आ0 दिलीप जी बहुत बधाई आपको , बढ़िया ढंग से मजदूर की व्यथा का चित्रण किया है । 

Comment by vijayashree on September 10, 2013 at 12:35pm

शांति समर्पण की अदभुत मिशाल "मजदूर "
वर्तमान भारत में खो गया है 
निर्माणों के अंधे युग में  आज 
निर्माण से ही दूर हो गया है

भावनात्मक  अभिव्यक्ति

हार्दिक बधाई 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 10, 2013 at 12:53am

बहुत सही विषय पर , लिखी गयी भावनात्मक रचना, बधाई स्वीकारें आदरणीय दिलीप जी

Comment by Vindu Babu on September 9, 2013 at 6:10pm
मजदूर का यथार्थ चित्र खींचा है आपनेआदरणीय।
सादर बधाई आपको।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 9, 2013 at 9:39am
दिलिप भाई , बहुत सुन्दर रचना !! बधाई !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
2 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
17 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
18 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service