For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुखद स्मृतियाँ

दुमहले के ऊँचे वातायन से

हलके पदचापों सहित  

चुपके से होती प्रविष्ट

मखमली अंगों में समेट

कर देती निहाल

स्वयं में समाकर एकाकार कर लेती

घुल जाता मेरा अस्तित्व

पानी में रंग की तरह

अम्बर के अलगनी पर

टांग दिए हैं वक्त ने काले मेघ

चन्द्रमा आवृत है , ज्योत्सना बाधित

अस्निग्ध हाड़ जल रहा

सीली लकड़ियों की तरह

स्मृति मञ्जूषा में तह कर रखी हुई हैं

सुखद स्मृतियाँ.....

.. नीरज कुमार ‘नीर’

पूर्णतः मौलिक एवं अप्रकाशित ..

Views: 995

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Neer on September 1, 2013 at 9:20am

हार्दिक आभार आदरणीय वीनस केसरी जी .. 

Comment by वीनस केसरी on September 1, 2013 at 2:12am

वाह ...
अद्धुत रचना ....

Comment by Pradeep Kumar Shukla on August 29, 2013 at 1:49pm

waah Neeraj ji waah .... bahut khoob ..... badhai

Comment by Pradeep Kumar Shukla on August 29, 2013 at 1:48pm

waah Neeraj ji waah .... bahut khoob ..... badhai

Comment by Neeraj Neer on August 28, 2013 at 8:10pm

आदरणीय श्याम जुनेजा जी बहुत आभार . कविता के प्रति गंभीरता के लिए विशेष शुक्रगुजार हूँ . हाड का सबंध शरीर से है .. अस्निग्ध - प्रेमहीन , प्रेम से वंचित . सीली यानि पानी में गीली लकड़ियाँ जो धीरे धीरे सुलगती है और जलती है .  उम्मीद करता हूँ बातें अब कुछ ज्यादा स्पष्ट हुई होंगी . आपका धन्यवाद . 

Comment by Neeraj Neer on August 27, 2013 at 7:13pm

आदरणीय मीना पाठक जी , अरुण जी एवं विशाल चर्चित जी बहुत बहुत आभार ..

Comment by Neeraj Neer on August 27, 2013 at 7:11pm

आदरणीय सौरव जी ह्रदय से आभार .. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 27, 2013 at 3:13am

झिहर-झिहर बरसती झींसियों के आप्लावित साम्राज्य से मानों यह बिम्ब सीधा उतार लिया गया है --

अम्बर के अलगनी पर

टांग दिए हैं वक्त ने काले मेघ

चन्द्रमा आवृत है , ज्योत्सना बाधित

वाह आदरणीय वाह !

शुभ-शुभ

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 26, 2013 at 4:11pm

वाह नीरज भाई बहुत सुन्दर प्रस्तुति गहरे भाव बहुत बहुत बधाई स्वीकारें

Comment by Meena Pathak on August 26, 2013 at 10:15am

बहुत सुन्दर रचना .... बधाई स्वीकारें 
सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय तिलकराज भाईजी, मुझे उचित प्रतीत नहीं होता कि मैं उपर्युक्त संवाद-प्रक्रिया पर कुछ…"
33 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
38 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय लक्ष्मण धामहजी जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
39 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथलेश जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
40 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"एक छोटा सा अंतर है किसी को अपना उस्ताद या गुरु मानते हुए संबाेधित करने और मंच पर किसी…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने गिरह भी ख़ूब है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय दयाराम जी नमस्कार एक ग़ज़ल क ही आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"इतनी मुश्किल भी नहीं सच्ची कहानी लिखना एक राजा की मुहब्बत में है रानी लिखना उसकी तारीफ़ में जो…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय लक्ष्मण जी  बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय Aazi जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service