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जन गण मन के अधिनायक

कौन हो तुम ?

जन गण मन के अधिनायक.

कहाँ रहते हो ?

मैं तुम्हारी जय कहना चाहता हूँ.

बरसों से हूँ मैं तुम्हारी खोज में,

तुम शून्य हो या हो सर्वव्यापी,

ईश्वर की तरह .

कौन हो तुम ?

तुम भारत भूमि तो नहीं ,

भारत तो माता है,

माता कभी अधिनायक तो नहीं होती .

तुम हो भारत भाग्य विधाता .

फिर बदला क्यों नहीं भारत का भाग्य.

भारत के भाग्य का ऐसा क्यों लिखा विधान.

कैसे विधाता हो ?

तुम्हारा स्वरुप तुम्हारी प्रकृति कैसी है?

मैं तुम्हारी जय कहना चाहता हूँ

मन मथ रहा है ..

............... नीरज कुमार ‘नीर’

पूर्णतः मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 25, 2013 at 10:34pm

एक ही नाम है, बिना तख़ल्लुस-- सौरभ .. :-)))))

Comment by Neeraj Neer on August 25, 2013 at 7:03pm

आदरणीय सौरव पाण्डेय जी , आपका सादर आभार . आपकी टिपण्णी पढ़कर अभिभूत हूँ .. मनोबल बढ़ा है .. बहुत धन्यवाद .. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 25, 2013 at 1:23pm

आदरणीय नीरज नीर जी, आपकी इस कविता की भावनात्मक ऊँचाइयों पर मुग्ध भी हूँ और उठाये गये प्रश्नों पर निरुत्तर और जड़वत भी.  इन प्रश्नों को संदर्भ बना कर पन्ने पर पन्ने रंगे जा सकते हैं...  रंगे जाते रहे भी हैं, परन्तु, इतनी संयत भावभिव्यक्ति .. ओह ! अन्यतम ! 

आदरणीय, प्रस्तुत रचना किसी रचनाकर्म पर संदेह नहीं करती, अन्यथा कटाक्ष भी नहीं करती, अपनाये गये बिम्बों पर नम्रता से प्रश्न करती है. जिनके उत्तर अपेक्षित थे कि दिये जाते. किन्तु, नहीं, उन्हें आजतक टाला जाता रहा है, तंत्र द्वारा भी, समाज द्वारा भी.

मैं तुम्हारी जय कहना चाहता हूँ

मन मथ रहा है ..

वाह !

सादर

Comment by Neeraj Neer on August 17, 2013 at 2:17pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय विजय मिश्र जी.. एवं आदरणीय बसंत नेमा जी .

Comment by विजय मिश्र on August 17, 2013 at 11:45am
"भारत तो माता है,
माता कभी अधिनायक तो नहीं होती |" - नागफणी के काटों की दंश से कम नहीं ये प्रश्न , अनेक राष्ट्रप्रेमी प्रबुद्धों के मन मथते होंगे .जिसने लिखा था ,उसने भी मनाही दियी थी कि सार की दृष्टि से यह गीत राष्ट्रिय प्रार्थना केलिए उपयुक्त नहीं है मगर नक्कारखाने में .......| सार्थक नीर बहाया है आपने |साधुवाद नीरजजी .
Comment by बसंत नेमा on August 16, 2013 at 11:47am

अति सुन्दर आ0 नीरज जी ..... शुभकामनाये 

Comment by Neeraj Neer on August 15, 2013 at 1:42pm

शुक्रिया आदरणीया शुभ्रा शर्मा जी ..

Comment by shubhra sharma on August 15, 2013 at 1:02pm

आदरणीय नीरज  जी,जन गण मन को समर्पित एक अच्छी कविता , बधाई    

Comment by Neeraj Neer on August 15, 2013 at 9:29am

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी एवं आदरणीय माथुर जी बहुत आभार आप का 

Comment by Neeraj Neer on August 15, 2013 at 9:29am

आदरणीय वीनस केसरी जी बहुत आभारी हूँ आपका .. 

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