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दर्दे सितम जो डोरे दिल कमज़ोर कर गए ।
माला से दिल की टूट कर मोती बिखर गए ।

ता उम्र हमने रखा जिनको सहेज़ कर ,
हाथो से मेरे छूट कर जाने किधर गए ।

अरमा अधूरे रह गये दिल में जो प्यार के ,
बनकर के अश्क वो मेरी आँखों में भर गए ।

आये थे दिल की दास्ताँ सुन ने वो शौक से ,
गहराइयों में दिल की झाँका तो डर गए ।

दो पग भी उनके बिन चलूँ मुमकिन न हो सका ,
हमतो खड़े ही रह गए रस्ते गुज़र गए ।

ज़िंदा हमे समझ रहे उनको खबर नही ,
जिस रोज उनसे बिछड़े उस दिन ही मर गए ।

नीरज
मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by राजेश 'मृदु' on August 12, 2013 at 4:05pm

सुंदर प्रस्‍तुति के लिए हार्दिक बधाई, सादर

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 11, 2013 at 3:06pm

आदरणीय नीरज भाई जी तकाबुले रदीफ़ का दोष यहीं ओ बी ओ पर पाठशाला के भीतर ग़ज़ल की बातें में वीनस जी द्वारा बताई गई है एक बार देख लें ये रहा लिंक http://www.openbooksonline.com/group/gazal_ki_bateyn/forum/topics/5...

Comment by Neeraj Nishchal on August 11, 2013 at 2:46pm

जीतेंन्द्र जी बहुत बहुत
अनुग्रहीत हूँ आपकी टिप्पणी से ।

Comment by Neeraj Nishchal on August 11, 2013 at 2:45pm

आदरणीय अरुण जी आप का बहुत बहुत आभार
तकाबुले रदीफ़ का दोष क्या होता है अगर बताएँगे
तो बहुत मेहरबानी रहेगी ......

Comment by Neeraj Nishchal on August 11, 2013 at 2:44pm

बहुत बहुत अनुग्रह करता हूँ आदरणीय
अरुण जी आपके अनुमोदन के लिए ।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 11, 2013 at 2:01pm

ता उम्र हमने रखा जिनको सहेज़ कर ,
हाथो से मेरे छूट कर जाने किधर गए ।..........यह शेर बहुत उम्दा है

हार्दिक बधाई आदरणीय नीरज जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 11, 2013 at 1:07pm

आदरणीय नीरज भाई ग़ज़ल बेहद सुन्दर बन पड़ी है इस हेतु बधाई स्वीकारें मुझे दो अशआरों में तकाबुले रदीफ़ का दोष लग रहा है, कृपया एक बार पुनः देख लें


अरमा अधूरे रह गये दिल में जो प्यार के ,
बनकर के अश्क वो मेरी आँखों में भर गए ।

आये थे दिल की दास्ताँ सुन ने वो शौक से ,
गहराइयों में दिल की झाँका तो डर गए ।

Comment by Abhinav Arun on August 11, 2013 at 12:54pm

आये थे दिल की दास्ताँ सुन ने वो शौक से ,
गहराइयों में दिल की झाँका तो डर गए ।

bahut khoob neeraj ji shaandaar ghazal hui hai badhai . vishes kar is sher ke liye !!

 

Comment by Neeraj Nishchal on August 10, 2013 at 9:03pm

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया अनुपमा जी

Comment by Neeraj Nishchal on August 10, 2013 at 9:02pm

बहुत बहुत आभार बसंत नेमा जी ।

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