For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अश्कों की बारिश में,
ऐसे हैं भींगे हम…..
जिंदगी पल पल अब,
हो रही है बे दम……
सांसों से भीख जैसे,

हैं माँग रहे हम……

क़िस्त-क़िस्त दे रहा,
है कर, हमपे रहम…
जब से जिंदगी से,
चले गए हो तुम…...
अब न कोई हमसफ़र,
रहा न कोई हमदम….
या ख़ुदा कर मदद,
इतना सा कर करम…
अश्कों की बारिश में………
….अभिषेक कुमार झा ''अभी''

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 626

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by savitamishra on December 12, 2013 at 6:34pm

sundar

Comment by Abhishek Kumar Jha Abhi on July 26, 2013 at 5:29pm
आदरणीय विजय मिश्र जी,
आपका स्नेह भरा आशीष पाकर मन हर्षित हुआ।

सादर आभार

Comment by विजय मिश्र on July 26, 2013 at 10:30am
सुन्दर
Comment by Abhishek Kumar Jha Abhi on July 26, 2013 at 8:39am
आदरणीय वीनस केसरी जी,
आपका स्नेह भरा आशीष पाकर मन हर्षित हुआ।

सादर आभार

Comment by वीनस केसरी on July 26, 2013 at 3:17am

वाह
बहुत खूब

Comment by Abhishek Kumar Jha Abhi on July 25, 2013 at 9:12am
आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी,
आपका स्नेह भरा आशीष पाकर मन हर्षित हुआ।

सादर आभार

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 25, 2013 at 6:46am

आपके मनोकामना शीघ्र पूर्ण हो ...शुभकामनाओं के साथ 

Comment by Abhishek Kumar Jha Abhi on July 24, 2013 at 5:34pm
आदरणीय मुखर्जी जी,
आपने बिल्कुल सही कहा है, वाकई में जहाँ विस्तार किसी चीज़ को परिपूर्ण करता है
वहीँ कुछ जगह अकार्थक भी करता है पर
ये कविता का एक अंश है आगे का अंश जल्दी ही आप सबके समक्ष रखूँगा।

सादर आभार

Comment by Abhishek Kumar Jha Abhi on July 24, 2013 at 5:25pm
आदरणीय डॉ प्राची जी और आदरणीय अन्नपूर्णा जी
आप सबके विचार जानकर मन बहुत हर्षित हुआ है।

आपका हार्दिक आभार है

Comment by Abhishek Kumar Jha Abhi on July 24, 2013 at 5:22pm
हा हा हा हा आदरणीय ''केतन परमार जी''
ये आपकी गुस्ताखी बार बार हो … आप सबका बेवाक नजरिया ही
मेरा मार्गदर्शन करेगी …
ये तो ''चले गए तुम'' का एक अंश है
ये कविता वाकई में अधूरी है जिसे समय समय पे आप सबके सामने
एक अंश में रखूँगा और आगे भी इसी तरह की गुस्ताखी की उम्मीद करता रहूँगा।

सादर आभार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
15 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
15 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
15 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
16 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
21 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service