For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

छोटी बहर की ग़ज़ल : अजब ये रोग है दिल का

बहर : हज़ज मुरब्बा सालिम

       1222, 1222

परेशानी बढ़ाता है,

सदा पागल बनाता है,

अजब ये रोग है दिल का,

हँसाता है रुलाता है,

दुआओं से दवाओं से,

नहीं आराम आता है,

कभी छलनी जिगर कर दे,

कभी मलहम लगाता है,

हजारों मुश्किलें देकर,

दिलों को आजमाता है,

गुजरती रात है तन्हा,

सवेरे तक जगाता है,

नसीबा ही जुदा करता,

नसीबा ही मिलाता है,

कभी ख्वाबों के सौ टुकड़े,

कभी जन्नत दिखाता है,

उमर लम्बी यही कर दे,

यही जीवन मिटाता है...

Views: 1754

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on July 26, 2013 at 3:50am

नसीबा ही जुदा करता,

नसीबा ही मिलाता है,

कभी ख्वाबों के सौ टुकड़े,

कभी जन्नत दिखाता है,

वाह वा बहुत खूब

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 22, 2013 at 7:53pm

आ0 अरून भाई जी,   लाजवाब... वाह! वाह!  खूब सूरत गजल।  हार्दिक बधाई स्वीकारें।  सादर,

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 22, 2013 at 1:17pm

हार्दिक आभार आदरणीया गीतिका वेदिका जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 22, 2013 at 1:16pm

हार्दिक आभार केतन भाई जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 22, 2013 at 1:15pm

हार्दिक आभार आदरणीया आरती जी काफी समय के बाद आप ओ बी ओ पर एवं मेरी पोस्ट पर आयीं बड़ी प्रसन्नता हुई. गुजारिश है आपसे सक्रियता बनाये रखें.

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 22, 2013 at 1:14pm

हार्दिक आभार आदरणीया सरिता जी स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 22, 2013 at 1:14pm

शुक्रिया आदरणीय जीतेंद्र भाई जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 22, 2013 at 1:14pm

ह्रदय से हार्दिक आभार आदरणीया प्राची दी आपकी टिपण्णी सदैव उत्साह को बढाती है एवं और अच्छा लिखने हेतु अग्रसर करती. अनुज पर स्नेह एवं आशीष यूँ ही बनाये रखिये.

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 22, 2013 at 1:12pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय बृजेश भाई जी स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 22, 2013 at 1:12pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया अनुपमा जी, ग़ज़ल के विषय में जानकारी प्राप्त करने हेतु पाठशाला में जाकर ग़ज़ल की कक्षा या ग़ज़ल की बातें का अनुसरण करें, आप ग़ज़ल लिखना शुरू कर देंगी. सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Ravi Shukla commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों को केंद्र में रख कर कही गई  इस उम्दा गजल के लिए बहुत-बहुत…"
12 hours ago
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी, अच्छी  ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें. अपनी टिप्पणी से…"
13 hours ago
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाई जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छी प्रयास है । आप को पुनः सृजन रत देखकर खुशी हो रही…"
13 hours ago
Ravi Shukla commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय बृजेश जी प्रेम में आँसू और जदाई के परिणाम पर सुंदर ताना बाना बुना है आपने ।  कहीं नजर…"
13 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागाअर्थ प्रेम का है इस जग मेंआँसू और जुदाईआह बुरा हो कृष्ण…See More
Thursday
Deepak Kumar Goyal is now a member of Open Books Online
Thursday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
Wednesday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
Wednesday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"अपने शब्दों से हौसला बढ़ाने के लिए आभार आदरणीय बृजेश जी           …"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहेदुश्मनी हम से हमारे यार भी करते रहे....वाह वाह आदरणीय नीलेश…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों के संघर्ष को चित्रित करती एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी एक और खूबसूरत ग़ज़ल से रूबरू करवाने के लिए आपका आभार।    हरेक शेर…"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service