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भुन्सारे से संझा तक  
घूरे की तरह
उदास
चन्दा घिरा है
काले बादलों में
भरी दोपहर में !!!

सारी रोशनी
खाए जा रहा है
पलकों का बह चुका
काला कलूटा काजल

काश तुम बोलते
ये मौन चिरैया की चुप्पी तोड़ते
गुस्सा लेते
कम से कम कारण तो पता चलता
आँखों से और इन अदाओं से
पता चलता है
प्यार और तकरार
प्यास और इंतज़ार
ईमानदार और मक्कार का


तमन्ना का नहीं
 
अब देखो न
तमतमाया ये लाल चेहरा
और लाल लाल आँखें
ऐसा लग रहा है जैसे
तुम पिए खाए मैं
किसी से लड़ के आए हो
और किसी ने दिए हों धर के दो चार

अरे छोड़ो न ये तकरार
मुहब्बत का गला दबाने से
यकीन का दम घुट जाता है
और फरेब
सौतन तलाशने लगता है
मुहब्बत निभाने के लिए


मुहब्बत मरती ही नही
कितना भी गला दबा लो
रफ़ी और मुकेश के गाने
उसको गाने ही हैं
.

.

.
आए हाय फिदा हैं
हम ये रोती हँसती आँखों पे
तजुर्बा कहता है
तुम्हारे घर वालों को बुरा कहा होगा
किसी ने है न ??
वरना तुम में तो कोई बुराई है ही नही

लिपट के सिसकते हो
तो लगता है
कोई तूफान
अब थमने के लिए
मेरी धैर्य की बस्तियाँ
उजाड़ने वाला है

यूँ ही मुस्कुराते रहो
तो इश्क़ का पता कैसे चलेगा
है न ????

.......दीप............

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 16, 2013 at 12:50pm
आप सभी आदरणीय अग्रजों और सम्मानीय सदस्यों का हृदय की गहराइयों से धन्यवाद
स्नेह यूँ ही बनाए रखिए
समयाभाव और कुछ कारणों से समय कम दे पा रहा हूँ सभी से क्षमा प्रार्थी हूँ
Comment by vijay nikore on July 13, 2013 at 10:34am

//लिपट के सिसकते हो
तो लगता है
कोई तूफान
अब थमने के लिए
मेरी धैर्य की बस्तियाँ
उजाड़ने वाला है //

अति सुन्दर अभिव्यक्ति। बधाई, आदरणीय।।

सादर,

विजय निकोर

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 12, 2013 at 1:25pm

आप सभी का हृदय से धन्यवाद और सादर आभार स्नेह यूँ ही बनाए रखिए

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 12, 2013 at 11:42am

वाह आदरणीय प्रिय मित्रवर वाह अति सुन्दर बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति बेहतरीन अभिव्यक्ति पर ढेरों बधाई स्वीकारें.

Comment by Sumit Naithani on July 12, 2013 at 9:49am

अतिसुन्दर प्रस्तुति


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 12, 2013 at 9:35am

आए हाय फिदा हैं 

हम ये रोती हँसती आँखों पे 
तजुर्बा कहता है ....................................तजुर्बा
तुम्हारे घर वालों को बुरा कहा होगा
किसी ने है न ??
वरना तुम में तो कोई बुराई है ही नही ..........................हा हा हा हा हा 

तुज़ुर्बा झलक रहा है भरपूर ..... सुन्दर अभिव्यक्ति पर हार्दिक बधाई आ0 संदीप जी 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 11, 2013 at 8:32pm

आ0 संदीप भाई जी,  अतिसुन्दर प्रस्तुति।   हार्दिक बधाई स्वीकारें।  सादर,

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