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आधुनिक नेता (घनाक्षरी )

आत्मा देखो मर गयी ,ह्रदय पाषाण हुआ !
मानवता मार चुके ,दिखते कसाई है !!
लूट पाट चोरी डाका ,इनका है काम यही !
लोगों का निचोड़ें खून ,चाटते मलाई हैं !!


भुखमरी से मरते,लोग बिलखाते जहाँ !
लाज शर्म पी चुके हैं ,भेजते दवाई हैं !!
ऐसे पापियों से कभी ,स्नेह की ना आस रखो !
दूर रहने में अब ,आपकी भलाई है !!

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

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Comment

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Comment by ram shiromani pathak on July 3, 2013 at 2:07pm

hardik aabhar adarneey ashutosh ji ..punah vichaar karta hun//saadar

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on July 3, 2013 at 2:03pm

bahut sunder raam ji kintu aatmaa laxman nirjan sneh jaise shab d ghanaaksharee me prayog nahi ho saktey......is chhand me pravaah poornatah bhanga hai punah likhein

Comment by ram shiromani pathak on July 3, 2013 at 12:35pm

हार्दिक आभार भाई जीतेन्द्र जी //

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 3, 2013 at 3:03am
आदरणीय...राम जी, सुंदर पंक्तियों पर बधाई
Comment by ram shiromani pathak on July 2, 2013 at 9:59pm

हार्दिक आभार भाई हरीश जी //

Comment by Harish Upreti "Karan" on July 2, 2013 at 6:42pm

सुन्दर रचना.........

Comment by ram shiromani pathak on July 2, 2013 at 5:52pm

हार्दिक आभार आदरणीया गीतिका जी //स्नेह यूँ ही बनाए रखें //सादर 

Comment by वेदिका on July 2, 2013 at 5:46pm

सही कहा आपने राम भैया!!

लेकिन क्या दूरी रखे, जब इनका चयन हमे ही करना है :((

नेताओ की सही परिभाषा देने की हिम्मत पे बधाई बधाई!!   

Comment by ram shiromani pathak on July 2, 2013 at 11:21am

हार्दिक आभार आदरणीय रविकर जी //सादर 

Comment by रविकर on July 2, 2013 at 11:15am

बढ़िया घनाक्षरी-
सादर-बधाइयां

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