For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!!! नवगीत !!!


नयनन के कोर से, ढरकि गये अंसुआं।
खारे जल बिन्दु भी, बन गये मोतियां।।

जीवन के रंग में,
गुलशन बसंत में-
पतझर के ढ़ंग से,
उजड़ गयी बगिया।1...खारे जल..

नयनन के नील में,
सागर सी झील मे-
रेशम की गेंद संग,
डूब गये छलिया।2...खारे जल..

कर्म के सफर में,
काटों के पथ पर,
नागों को मथ कर,
नाचे गउ चरइया।3....खारे जल..

धर्म की जीत को,
सत्यम के रीति को,
गीता के गीत को,
गाते रहे रसिया।।4...खारे जल..


के0पी0सत्यम/मौलिक व अप्रकाशित

Views: 554

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 21, 2013 at 7:25am

आ0 रक्ताले सर जी, सुप्रभात व सादर प्रणाम!  सुबह-सुबह आपका स्नेह और आशीष पाकर मन अति गदगद हो गया।  आपका अन्तर्मन से हार्दिक आभारी हूं। सादर,

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 20, 2013 at 11:39pm

आदरणीय केवल प्रसाद जी सादर, बहुत सुन्दर नवगीत रचा है मंच पर हुई कार्यशाला का असर नवगीत की रचना में दिखने लगा है. बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 18, 2013 at 8:58pm

आ0  जवाहर लाल जी,  आपके स्नेह एवं अनुकरणीय प्रसंशा हेतु आपका तहेदिल से  हार्दिक आभार।   सादर,

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 18, 2013 at 6:39am

धर्म की जीत को,
सत्यम के रीति को,
गीता के गीत को, 
गाते रहे रसिया।।4...खारे जल..

सुंदर भावयुक्त पंक्तियाँ!

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 16, 2013 at 8:15pm

आ0 विरकाळी जी,  आपके स्नेह हेतु बहुत-बहुत हार्दिक आभार।   सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 16, 2013 at 8:14pm

आ0 संदीप जी,  आपके स्नेह हेतु बहुत-बहुत हार्दिक आभार।   सादर,

Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on May 16, 2013 at 6:42pm
बहुत सुन्दर प्रयास आ॰ केवल प्रसाद जी।
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 16, 2013 at 2:58pm

बहुत सुंदर प्रयास हुआ है आदरणीय
सादर बधाई
थोड़ा तुकांत पर भी पकड़ बनाइए और धीरे धीरे निखार आ जाएगा
सादर

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 15, 2013 at 8:56pm

आ0 राम शिरोमणि जी,    प्रिय मित्र!  आपके  स्नेह और प्रसंशा के लिए तहेदिल से हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 15, 2013 at 8:55pm

आ0 कुशवाहा जी,     आपके  स्नेह और प्रसंशा के लिए तहेदिल से हार्दिक आभार।  सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
17 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
17 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
17 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
17 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
Monday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार…"
Monday
Chetan Prakash commented on Dharmendra Kumar Yadav's blog post ममता का मर्म
"बंधु, नमस्कार, रचना का स्वरूप जान कर ही काव्य का मूल्यांकन , भाव-शिल्प की दृष्टिकोण से सम्भव है,…"
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"अच्छे दोहे हुए हैं, आदरणीय सरना साहब, बधाई ! किन्तु दोहा-छंद मात्र कलों ( त्रिकल द्विकल आदि का…"
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service