For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कैसा समाज // कुशवाहा//

कैसा समाज // कुशवाहा//

-------------------------

जनम लेत बालिका जननी न सुहात है 

माम सुन चाहत है मात नही भात है 

कृष् काय बदन लिये तन पर नहि गात है 

चौराहे अन्न सडत कैसा सुप्रभात है 

वैभव विहीन वो जनम काली रात है 

कली न खिली अभी भंवरे मडरात हैं  

खग गगन उड़न चहे बाजों का राज है 

सखि संग खेलन गयी संझा की बात है 

मैला आंचल हुआ लुटी सगरी रात है 

दोषी भला ये क्यों अपने ही भ्रात हैं 

संस्कार विहीन ये अपराध सम्राट हैं 

दिया नहि ध्यान कभी कहाँ कहाँ जात हैं 

अपराधी बने वे करत पश्चाताप हैं 

घर में बैठ कभी करत नही बात हैं 

पैसा पैसा करत मरते दिन रात हैं 

शूल बन पथ में आज कंटक चुभत जात हैं 

संस्कृति सभ्यता ज्ञान से नहि  कुछ नात है 

प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा 

२४-४-२०१३ 

मौलिक /अप्रकाशित 

Views: 665

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डा॰ सुरेन्द्र कुमार वर्मा on April 25, 2013 at 4:01pm

श्रद्धेय कुशवाहाजी,

टीस को बड़े कसे हुए शब्द दे कर झकझोर दिया है, नमन स्वीकार करें. दांत के दर्द से तो छुटकारा सम्भव है, इस टीस का तो कोई निराकरण ही दीखता नहीं. अदृष्ट का भय तो दृष्ट और धृष्ट रूप ले चूका है....समाज की निर्वसनता की इस टीस को शब्दों का परिधान देने  के लिए धन्यवाद..

Comment by ram shiromani pathak on April 25, 2013 at 12:25pm

आदरणीय उच्च कोटि का  कथ्य और सटीक व्यंग  ///// हार्दिक बधाई आपको 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 25, 2013 at 10:05am

आ0 कुशवाहा जी, सर जी, अतितीक्ष्ण कटाक्ष। बहुत बहुत बधाई स्वीकारें। सादर,

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 24, 2013 at 11:28pm
आदरणीय कुशवाहा जी .बिभिन्न रंगों को दर्दों को झंझावात को समेटे सामयिक रचना ...काश लोग संस्कार को समझ सकें बाज कुत्ते और गिद्ध न बनें 
 
.जय श्री राधे 

भ्रमर ५ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Jul 12
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service