‘‘गजल‘‘
एक प्रयास के फलस्वरूप प्रस्तुत है।
वज्न......1222 1222 1222 1222
कुसुम को तोड़कर किसने, हसीनों को रिझाया है।
रूहानी जानकर उसने, मकानों को सजाया है।।1
जहां में और भी किस्से, सुनाया नाम पाया है।
चुराकर रात का काजल, सुनयनों को लगाया है।।2
चला है शाम से नश्तर, सितम भी खूब ढाया है।
वतन को छोड़ आफत में, बेगानों को छिपाया है।।3
यहां कातिल वहां मंजिल, बहानों से बुलाया है।
खुदा को भूल आया वो, सकीनों को रूलाया है।।4
बहा जो अश्क सावन में, कसक इंतजार छाया है।
समन्दर में लगा पावक, गुनों किसने बुझाया है।।5
के0पी0सत्यम/मौलिक व अप्रकाशित
Comment
चला है शाम से नश्तर, सितम भी खूब ढाया है।
वतन को छोड़ आफत में, बेगानों को छिपाया है
प्रिय केवल जी बहुत सुन्दर प्रयास ..रंग चढ़ रहा है ...अच्छे भाव युक्त गुनगुनाने को जी चाहता है
आ0 राम शिरोमणि जी, प्रिय मित्र नमस्कार! आपका हार्दिक आभार। सादर,
केवल भाई आपके प्रयास पर आपको बधाई। आप गुनगुना कर लिखने के बजाए मात्रा गणना करके लिखा करें तो शायद अधिक उपयुक्त होगा। लय अपने आप बन जाएगी।
सादर!
बहुत सुन्दर प्रयास हुआ है भाई,हार्दिक बधाई
आदरणीय गुरूवर सौरभ सर जी, जी, आ0 गणेशजी की बात समझ में आ गई है। हार्दिक आभार साहित। सादर,
आदरणीय गुरूवर सौरभ सर जी, जी, अब प्रश्न भी करूंगा। ज्यादातर पढ़ाई का कार्य मोबाईल पर होता है। फिर भी अब नोट करके जिज्ञासा पूर्ण करूंगा। हार्दिक आभार साहित। सादर,
भाई, आप उपलब्ध लेखों को पढ़ते क्यों नहीं ? उसमें न समझ आये तो उन लेखों के साथ ही प्रश्न करिये. आपको उत्तर अवश्य ही मिलेगा. आप व्यक्ति आश्रित क्यों हों, आप प्रक्रिया आश्रित क्यों नहीं बनते ? इस मंच पर कोई वरिष्ठ सदस्य (आयु से नहीं जानकारी और समझ से) आपके प्रश्नों को संतुष्ट करने की कोशिश करेगा. आप पहले उन लेखों को पढ़कर प्रश्न तो करें.
इसी कारण मैंने पूछा था कि आपनी आदरणीय योगराजभाईसाहब के कहे का क्या समझ में आया.
शुभेच्छाएँ.
आदरणीय गुरूवर सौरभ सर जी, जी। अब बिलकुल स्पष्ट होगया। आपका एवं गणेशजी सर का बहुत-बहुत हार्दिक अभार। सादर,
आदरणीय श्याम नारायण जी, सादर प्रणाम। उत्साहवर्धन हेतु आपका बहुत-बहुत अभार। सादर,
आदरणीय अरून अनन्त जी, सादर प्रणाम। जी, मैने सुबह आपके टिप्पणी का आभार प्रकट किया था, लेकिन यहां अंकित नही है। सर जी क्षमा करियेगा। लगता है कुछ नेट की दिक्कत रही होगी। सच बात यही है कि मैं काफिया और रदीफ में शंकित हो जाता हूं। आपका बहुत-बहुत अभार। सादर,
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