For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये काग़ज़ पे लिखी तरक्कियां, कुछ और कहती हैं
मगर लाखों करोड़ों झुग्गियां, कुछ और कहती हैं !

बड़ा फराख दिल है शहर तेरा शक नहीं मुझ को ,
ये हर-सू बंद पड़ी खिड़कियाँ, कुछ और कहती हैं !

तेरा दा'वा है कि अमन-ओ-सकूं है शहर में सारे,
मगर अख़बार की ये सुर्खियाँ, कुछ और कहती हैं !

मुझे यकीं नहीं आता बहार आ गयी, क्यों कि
उदास चेहरे लिए तितलियाँ, कुछ और कहती हैं !

मुझे गुमान था कि मैं बना हूँ खुद के ही दम से,
मेरे बापू की बूढी हड्डियाँ, कुछ और कहती हैं !

मैं फूलों तितलितों के दरमियाँ बसना तो चाहूं, पर
मेरे कुनबे की जिम्मेवारियां, कुछ और कहती हैं !

हरेक नारी नदी को माँ बुलाना संस्कृति जिनकी
वहां जिस्मों की लाखों मंडिया, कुछ और कहती हैं

Views: 719

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 17, 2017 at 11:39pm

एक और बेहतरीन कलाम आपका आदरणीय सर | हर शेर पर वाह वाह और वाह |

Comment by Naval Kishor Soni on August 28, 2012 at 1:05pm

हरेक नारी नदी को माँ बुलाना संस्कृति जिनकी
वहां जिस्मों की लाखों मंडिया, कुछ और कहती हैं--------------bahut khub

Comment by Aparna Bhatnagar on September 18, 2010 at 11:54pm
कलम उगलेगी आग अब यकीनन,
जख्म दिल का पुराना मिल गया है !
हरेक नारी नदी को माँ बुलाना संस्कृति जिनकी
वहां जिस्मों की लाखों मंडिया, कुछ और कहती हैं

behad samvedansheel!
Comment by दुष्यंत सेवक on May 20, 2010 at 2:25pm
aaina dikha diya apne hindustan ka.....kya andaje baya kya bimb kya behtareen shabdo ka sanyyojan ....bahut hi umda aur ala rachna sir
Comment by asha pandey ojha on May 16, 2010 at 1:55pm
तेरा दा'वा है कि अमन-ओ-सकूं है शहर में सारे,
मगर अख़बार की ये सुर्खियाँ, कुछ और कहती हैं !

मुझे यकीं नहीं आता बहार आ गयी, क्यों कि
उदास चेहरे लिए तितलियाँ, कुछ और कहती हैं !
sir samjh me nahee aata ki aap kee gzal kee tareef me lafz khan se laun ..kyonki wo ..aap kee gzal padhne me gum ho gaye ..bahut khoob ..,lazwab ..

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 15, 2010 at 1:30pm
Apki mohabbat hai bhai jaan. Baraye meharbaani hamesha sath rahein hamare.
Comment by fauzan on May 15, 2010 at 1:13pm
Yograj Bhai
saaf seedhi aur sacchi soch hai aapki...Waah

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 11, 2010 at 10:31am
Bhai Biresh Kumar ji, Preetam Tiwari ji, Ravi Kumar Giri (Guru ji), ADMN ji, Ganesh Bagi ji - ap sab doston ki hausla afzayti ka bahut bahut shukriya.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 11, 2010 at 10:03am
Sarey key sarey shaer behtarin aur arth sey paripurna hai, jabardast abhvyakti hai Yograj bhaiya, baut umdda gazal likhey hai aap ney, bahut hi sunder,
Comment by Rash Bihari Ravi on May 10, 2010 at 3:15pm
हरेक नारी नदी को माँ बुलाना संस्कृति जिनकी
वहां जिस्मों की लाखों मंडिया, कुछ और कहती हैं

aap ki gajal ka murid huin main ,
karan gajal padh kar dil se comment karte hain

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
19 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service