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क्या फायदा बाल दिवस कहने से ?

बाल दिवस पर विशेष




आज का दिन बहुत ही विशेष दिन है क्योकि आज का दिवस उन नन्हे-मुन्नों का है,जो आगे चलकर देश का बागडोर संभालेंगे !ये वही बच्चे है जिन्हें चाचा नेहरु ने देश का भविष्य कहा था .
आज पूरा देश पंडित जवाहरलाल नेहरु को याद कर उनका जन्मदिवस बाल दिवस के रूप में मना रहा है .चाचा नेहरु के देश में आज भी कुछ ऐसे बच्चे रह गए है जो इन प्रसन्नता भरे पलों से महरूम है .आज भी नेहरु जी के बच्चों का शोषण हो रहा है.जिन बच्चो को चाचा नेहरु ने देश की बागडोर देने का सपना देखा था ...वो आज पंजाब ,हरयाणा,सूरत के मीलों में गट्ठर सँभालते हुए नज़र आ रहे है.वो बच्चे ईट भठो पर काम करते नज़र आ रहे है ,ढ़ाबो में बर्तन धोते नजर आ रहे हैं,कूड़ा चुनते,ट्रनो में झाड़ू लगाते,फेरी लगाते हैं. ये नेहरु जी के आँख के तारे दलालों के हाथ बिकते नजर आ रहे है.क्या चाचा नेहरु ने ऐसा सोचा होगा की हमारे बच्चो का ये हाल होगा हमारे जाने के बाद.आज हर पार्टी कार्यालय में बखूबी चाचा नेहरु जी का जन्मदिवस मनाया जायेगा ...लेकिन उन्हें वो बच्चे नजर नहीं आयंगे .हमारे देश में हजार-दो हजार नहीं बल्कि पुरे 6 करोड़ बाल मजदुर हैं .हर पाच साल के बाद चुनाव आती है .....सबका स्त्री से लेकर ,दलित,महादलित,सबका मुद्दा गूंजता है लेकिन ये मुद्दा कभी भी किसी ने नहीं उठाया...जिस से इनका कल्याण हो सके .ये अन्याय इनके साथ क्यों होता है ?इसलिए की वो वोटर नहीं है, उनसे राजनितिक पार्टियो को कोई फायदा नहीं है.तो इसमें हमारे चुनावी सिस्टम की नाकामयाबी नजर आती है.आज हमारे देश में लगभग साढ़े पांच करोड़ बेरोजगारी है ,और ६ करोड़ बाल श्रमिक....तो अगर हम इन बाल श्रमिको को यहाँ से हटा दे तो क्या रोजगार नहीं बढ़ेगी .
आज इस राष्ट्र में जब ये देश के भविष्य अपने ही अधिकार रोटी,पढाई,प्यार और खेल से जब वंचित है तो, ये इस देश से ,सरकार से कुछ और क्या उम्मीद कर सकते है .ऐसे परिस्थितियो में क्या फायदा है १४ नवम्बर को बाल
दिवस के रूप में मानाने का ......इसे नेहरु जी का जन्मदिवस ही कहा जाये तो बेहतर होगा.
रत्नेश रमण पाठक

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Comment by Ratnesh Raman Pathak on November 17, 2010 at 10:31am
dhnayabad ganesh bhaiya

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 17, 2010 at 9:19am
रत्नेश भाई, स्थिति विकट है और आपकी चिंता जायज, आज चाय की दुकानों से लेकर होटलों तक, घरेलू मजदूर से लेकर ईट भट्ठों तक हर जगह बच्चो का शोषण होते दिख जायेगा, स्थिति सुधरने का नाम नहीं ले रहा है |
बेहद मार्मिक आलेख हेतु आप को साधुवाद |
Comment by Ratnesh Raman Pathak on November 15, 2010 at 11:29pm
dhanyawad rana bhaiya aur naveen bhai jee

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on November 14, 2010 at 10:38pm
बेहद मार्मिक ....देश के नेताओं ने अगर लेश मात्र भी इस और ध्यान दिया होता तो स्थिति इतनी विकराल नहीं होती|

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