For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बहते हुए समय के साथ

कदम मिलाकर चल सको

तो अच्छा है,

उसे रोकने की कोशिश मत करो –

तुम्हें धराशायी करके

वह निर्लिप्त, आगे ही बढता जायेगा.

 

उस धारा में उठती लहरों को

‘गर चूम सको

तो अच्छा है,

उन्हें बाँधने की कोशिश मत करो –

निर्दयी वे, तुम्हें अकेला छोड़

भँवरों में समा जायेंगी.

 

और, उन तपस्वी वृक्षों तक

यदि पहुँच सको

तो अच्छा है,

उनसे ऊँचा बनने की कोशिश मत करो –

माटी में ही जीवन है, यह समझाने

माटी में वे तुमको उतार लायेंगे.

 

हाँ, यदि तुममें

आवारा बादल बनने की क्षमता है

तो बात अलग है,

चाहे गरजो,वा बरसो, मदमस्त फिरो

कोई तुम्हें रोक नहीं सकता –

पर सावधान !

उस नीले गहरे महाशून्य से घबराना

कहीं सृष्टि के मौन गर्भ में खींच न ले.  

Views: 349

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on March 9, 2013 at 7:53pm

आदरणीय, इस सुन्दर रचना के लिए बधाई।" बहुत गहन भाव लेकर चली है आपकी चिंतन धारा |

Comment by विजय मिश्र on March 9, 2013 at 10:36am
" और, उन तपस्वी वृक्षों तक
यदि पहुँच सको
तो अच्छा है,........ . " बहुत गहन भाव लेकर चली है आपकी चिंतन धारा | साधुवाद शारदिन्दूजी

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 9, 2013 at 2:11am

समय, लहर, वृक्ष के प्रतीकों से निरंकुश मठों के बहुजाल की ओर इंगित करना इस रचना के संदर्भ में आपकी सम्प्रेषणीयता को अभिनव आयाम देता है. मार्गदर्शी तक से भयाक्रांत मनस प्रतिदिन मरते समाज में जीने को विवश है.  

रचना के माध्यम से सही कहा गया है, मोहपाश, भ्रमजाल पग-पग पर हैं. ऐसे में विवेक और प्रखर चैतन्य का ही भरोसा है.

एक वैचारिक रचना को साझा करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.. .
शुभ-शुभ

Comment by राजेश 'मृदु' on March 8, 2013 at 1:10pm

बहुत ही उम्‍दा लेखन, 'उस धारा' बहुअर्थी  है, इसे कृपया स्‍पष्‍ट करें और निर्दयी वे - निर्दयी क्‍यों कहा गया, कुछ गूढ़ार्थ तो है जिसे समझकर भी समझ नहीं पा रहा हूं, मार्गदर्श करें तो और आनंद आए, सादर

Comment by vijay nikore on March 8, 2013 at 12:13pm

आदरणीय, इस सुन्दर रचना के लिए बधाई।

विजय निकोर

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
8 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
8 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
8 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
9 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
14 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service