For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रियतम मेरे 

फिर वही शाम वही तन्हाई 
दिल में मेरे वही दर्द ले कर आई 
....................................
प्रियतम मेरे 
ढूँढ़ रही है बेचैन निगाहें 
कहाँ खो गये दुनिया की भीड़ में
......................................
प्रियतम मेरे
मजनू बना प्यार में तेरे 
आईना भी नही पहचानता मुझे
.....................................
प्रियतम मेरे 
दर्देदिल ने कुछ ऐसा किया 
हो गया मै तुम्हारा उम्र भर के लिए
........................................
प्रियतम मेरे
हो न जाऊं कहीं पागल मै 
स्वाती अमृत की बूंद मुझे दे 
......................................
मौलिक और अप्रकाशित रचना 

Views: 677

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rekha Joshi on February 20, 2013 at 1:08pm

अजय जी ,उत्साह वर्धन हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद 

Comment by ajay yadav on February 20, 2013 at 1:05pm

आईना भी नही पहचानता मुझे

बहुत खूबसूरत भावाभिव्यक्ति जी |

बधाई हों |

Comment by Rekha Joshi on February 20, 2013 at 12:55pm

विनीता जी आपका हार्दिक धन्यवाद 

Comment by Vinita Shukla on February 19, 2013 at 10:41pm

कोमल भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति. बधाई रेखा जी.

Comment by mrs manjari pandey on February 19, 2013 at 8:51pm

आदरणीय डॉक्टर अजय खरे जी धन्यवाद मेरा उत्साह बढाने के लिए।

Comment by mrs manjari pandey on February 19, 2013 at 8:48pm

आदरणीय सौरभ जी बहुत बहुत धन्यवाद . आपकी टिप्पड़ियां  हमारा मार्ग प्रशस्त करती हैं।

Comment by mrs manjari pandey on February 19, 2013 at 8:46pm

आदरणीया  रेखा  जी मधुरी  ग़ज़ल। हार्दिक शुभकामनायें।

Comment by Dr.Ajay Khare on February 19, 2013 at 12:11pm

rachna bahut bedna se bhari thi badhai

Comment by Rekha Joshi on February 19, 2013 at 11:55am

आ सौरभ जी ,आ राजेश जी आपके कमेंट्स मेरे लिए बहुत महत्व रखते है ,आपका हार्दिक आभार ,धन्यवाद 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 19, 2013 at 11:02am

मन के भावों को उभारती रचना बहुत बहुत बधाई रेखा जी| 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
15 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
15 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
15 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
16 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
21 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service