For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम बिन जिया जाये कैसे ………

तुम पास नहीं हो तो दिल मेरा बहुत उदास है !

हर पल दिल में तेरा ही अहसास है !

जिधर देखूं बस तुम ही तुम नज़र आते हो !

और पलक झपकते ही ओझल हो जाते हो !

दिल की धड़कन से तेरी आवाज़ आती है !

मेरी हर सांस से तेरी आवाज़ आती है !

न जाने क्या हो गया है मुझे !

मैं बात करती हूँ , आवाज़ तेरी आती है !

जबसे तुमसे मिले हैं हम खुद से पराये हो गए हैं !

तेरी ही यादों में कुछ ऐसे दीवाने हो गए हैं !

सबके बीच रहते हुए भी तनहा हो गए हैं !

दो दिल एक जान हम हो गए हैं !

सही में किस प्रकार कोई हमारी जिंदगी में इस तरह असर करता है कि हम खुदके न होकर बस उसी के हो जाते हैं ! उसी से हमारी सुबह और शाम हो जाती है ! उसी से हमारा सुख और दुःख हो जाता है ! वो साथ है तो जैसे पूरा जहाँ मिल गया अगर साथ नहीं वो तो जैसे हमसे बदनसीब नहीं कोई ! माँ बाप के साथ २० साल गुजरने के बाद भी वो शख्श उनसे ऊपर हो जाता है ! उसके लिए हम अपने सरे संगी साथी छोड़ एक नई दुनिया बसा लेते हैं जो बहुत ही हसीं लगती है !

Views: 577

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Parveen Malik on February 13, 2013 at 12:19pm

धन्यवाद आदरणीय कुशवाहा जी एवं डॉ अजय खरे जी हौसलाफजाई के लिए ...

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on February 12, 2013 at 11:05am

तेरी ही यादों में कुछ ऐसे दीवाने हो गए हैं !

सबके बीच रहते हुए भी तनहा हो गए हैं !

आदरणीया परवीन जी 

सादर 

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.

बधाई. 

Comment by Dr.Ajay Khare on February 8, 2013 at 11:32am

bichhoh ki jhulas ka sunder chitran badhai malik madam

Comment by Parveen Malik on February 8, 2013 at 11:06am

आप सभी का बहुत बहुत आभार कि आपने अपना कीमती समय मेरी रचना को दिया ... 

धन्यवाद....

Comment by vijay nikore on February 8, 2013 at 7:37am

आदरणीया परवीन जी:

रचना तो अच्छी है ही, परन्तु रचना के नीचे लिखी

पंक्तियों में आपने जो सच्चाई अभिव्यक्त की है,

उसने आपकी रचना में और भी जान डाल दी है।

थोड़ी-सी पंक्तियों में आपने हर किसी के जीवन में

आए किसी खास रिश्ते की सच्चाई सामने कर दी है।

जीवन में किसी की  उपस्थिति का रंग और उसके

अभाव का ग़म .... कोई उस स्थिति में से गुज़रा हुआ

ही जानता है ... वह दर्द एक अनोखा दर्द है जो सालों तो क्या,

कई बार दशकों तक भी सीने में गरम कोलतार की तरह बस

चिपका रहता है।

मैंने इस उपस्थिति पर और इस दर्दीले अभाव पर दो कविताएँ

लिखी थीं, जिनको मै obo पर post कर के आपके साथ share

नहीं कर सक्ता, क्यूँकि वह दोनों कहीं और प्रकाशित हो चुकी हैं

(with respect for obo's rules). हाँ, यदि आप चाहें तो

ओबीओ पर friends बन कर ए मैल में आपसे share कर

सकता हूँ।

सादर ।

विजय निकोर

Comment by MAHIMA SHREE on February 7, 2013 at 9:45pm

आदरणीया परवीन जी  नमस्कार

दिल से लिखी रचना के लिए बधाई आपको

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 7, 2013 at 8:29pm

इस मंच पर मैं ये आपकी कोई पहली रचना देख रहा हूँ
नवल प्रयास के लिए बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
18 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service