For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत: नया वर्ष है... संजीव 'सलिल'

गीत:
नया वर्ष है...
संजीव 'सलिल'
*
खड़ा मोड़ पर आकर फिर
एक नया वर्ष है...
*
कल से कल का सेतु आज है यह मत भूलो.
पाँव जमीं पर जमा, आसमां को भी छू लो..

मंगल पर जाने के पहले
भू का मंगल -
कर पायें कुछ तभी कहें
पग तले अर्श है.
खड़ा मोड़ पर आकर फिर
एक नया वर्ष है...
*
आँसू न बहा, दिल जलता है, चुप रह, जलने दे.
नयन उनीन्दें हैं तो क्या, सपने पलने दे..

संसद में नूराकुश्ती से
क्या पाओगे?
सार्थक तब जब आम आदमी
कहे हर्ष है.
खड़ा मोड़ पर आकर फिर
एक नया वर्ष है...
*
गगनविहारी माया की ममता पाले है.
अफसर, नेता, सेठ कर रहे घोटाले हैं.

दोष बताएं औरों के
निज दोष छिपाकर-
शीर्षासन कर न्याय कहे  
सिर धरा फर्श है.
खड़ा मोड़ पर आकर फिर
एक नया वर्ष है...
*
धनी और निर्धन दोनों अधनंगे फिरते.
मध्यमवर्गी वर्जनाएं रच ढोते-फिरते..

मनमानी व्याख्या सत्यों
की करे पुरोहित-
फतवे जारी हुए न लेकिन
कुछ विमर्श है.
खड़ा मोड़ पर आकर फिर
एक नया वर्ष है...
*
चले अहर्निश ऊग-डूब कब सोचे सूरज?
कर कर कोशिश फल की चिंता काश सकें तज..

कंकर से शंकर गढ़ना हो
लक्ष्य हमारा-
विषपायी हो 'सलिल'
कहें: त्यागा अमर्श है.
खड़ा मोड़ पर आकर फिर
एक नया वर्ष है...
*

Views: 439

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 25, 2012 at 7:26pm

परम आदरणीय सलिल जी सादर, बहुत सुन्दर नव वर्ष का नवगीत बधाई स्वीकारें.

Comment by sanjiv verma 'salil' on December 22, 2012 at 4:04pm

सौरभ जी, अरुण जी, सीमा जी, रचना ने आपके मन को छुआ तो मेरा सृजन कर्म सफल हो गया. धन्यवाद.

Comment by seema agrawal on December 21, 2012 at 7:35pm

नव वर्ष से पूर्व ही नव वर्ष की पद चाप सुनवाने  के लिए धन्यवाद आचार्य जी
 कल से कल का सेतु आज है यह मत भूलो...वाह क्या लेखन है 

शीर्षासन कर न्याय कहे  
सिर धरा फर्श है.....वाह 

चले अहर्निश ऊग-डूब कब सोचे सूरज?
कर कर कोशिश फल की चिंता काश सकें तज...इन पंक्तियों ने गीत में चार चाँद लगा दिए हैं 

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 21, 2012 at 11:34am

आदरणीय सर नव वर्ष का इतना सुन्दर गीत पढने का मुझे अवसर मिला आपको अनेक-2 धन्यवाद


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 20, 2012 at 11:49pm

नव वर्ष के मंगलमय होने की आशाओं के साथ विचारपरक तथ्यों की इतना शानदार प्रस्तुति ! वाह वाह !!

चले अहर्निश ऊग-डूब कब सोचे सूरज?
कर कर कोशिश फल की चिंता काश सकें तज..

बहुत खूब, आचार्यजी.

Comment by sanjiv verma 'salil' on December 20, 2012 at 8:53pm

राजेश जी
आपकी गुणग्राहकता को नमन. अनंत शुभ कामनाएं .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 20, 2012 at 6:59pm

वाह आदरणीय सलिल जी आपने तो नूतन वर्ष का आगाज़ बहुत सुन्दर गीत से किया सम्पूर्ण वर्ष का लेख जोखा शब्द दर शब्द बढ़ता गया व्यंग्य ,सन्देश क्या खोया क्या पाया सभी कुछ तो कह रहा है आपका गीत ,जब आम आदमी कहे हर्ष है तभी सार्थक वर्ष है ,दरवाजे पर खड़ा नूतन वर्ष है ।बहुत बहुत बधाई आदरणीय 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तस्दीक अहमद जी आदाब, बहुत सुंदर ग़ज़ल हुई है बहुत बधाई।"
1 hour ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"लक्ष्मण धामी जी अभिवादन, ग़ज़ल की मुबारकबाद स्वीकार कीजिए।"
2 hours ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय दयाराम जी, मतले के ऊला में खुशबू और हवा से संबंधित लिंग की जानकारी देकर गलतियों की तरफ़…"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तस्दीक अहमद खान जी, तरही मिसरे पर बहुत सुंदर प्रयास है। शेर नं. 2 के सानी में गया शब्द दो…"
3 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"इस लकीर के फकीर को क्षमा करें आदरणीय🙏 आगे कभी भी इस प्रकार की गलती नहीं होगी🙏"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय रिचा यादव जी, आपने रचना जो पोस्ट की है। वह तरही मिसरा ऐन वक्त बदला गया था जिसमें आपका कोई…"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय मनजीत कौर जी, मतले के ऊला में खुशबू, उसकी, हवा, आदि शब्द स्त्री लिंग है। इनके साथ आ गया…"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी ग़जल इस बार कुछ कमजोर महसूस हो रही है। हो सकता है मैं गलत हूँ पर आप…"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बुरा मत मानियेगा। मै तो आपके सामने नाचीज हूँ। पर आपकी ग़ज़ल में मुझे बह्र व…"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, अति सुंदर सृजन के लिए बधाई स्वीकार करें।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तस्दीक अहमद जी, सादर अभिवादन। लम्बे समय बाद आपकी उपस्थिति सुखद है। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक…"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"ग़ज़ल 221, 2121, 1221, 212 इस बार रोशनी का मज़ा याद आगया उपहार कीमती का पता याद आगया अब मूर्ति…"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service