==========ग़ज़ल============
आ गया है वक़्त सबको साथ चलना चाहिए
दोस्तों दिल में अमन का दीप जलना चाहिए
खून की होली, धमाके, रेप, हत्या देख कर
जम चुका बर्फ़ाब सा ये दिल पिघलना चाहिए
मात देने मुल्क में पसरे हुए आतंक को
बाँध कर सर पे कफ़न घर से निकलना चाहिए
रस्म ऐसी झेलते रहने में बोलो क्या रखा
गर खराबी है तो ये सिस्टम बदलना चाहिए
मुल्क की सूरत बदल डालोगे इक दिन है यकीं
शर्त है बच्चों के माफिक दिल मचलना चाहिए
मंजिले मक़सूद पाना चाहते हो तुम अगर
हर घडी आँखों में उसका ख्वाब पलना चाहिए
सर उठा कर चल सकोगे आप भी रख आबरू
हौशलों का ये उगा सूरज न ढलना चाहिए
मानते हो सब है जायज इश्क में औ जंग में
"दीप" तो फिर लोमड़ी की चाल चलना चाहिए
संदीप पटेल " दीप"
Comment
ik ik sher bahut khoob kaha hai ,,,,,,,,shubkamnayen
वास्तविकता से परिचय और देश में व्याप्त कुरुतियों को दूर करने को लेकर एक सार्थक सन्देश देती गजल पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय संदीप जी
मुल्क की सूरत बदल डालोगे इक दिन है यकीं
शर्त है बच्चों के माफिक दिल मचलना चाहिए ................वाह! बहुत सुन्दर बात कही संदीप जी
मंजिले मक़सूद पाना चाहते हो तुम अगर
हर घडी आँखों में उसका ख्वाब पलना चाहिए.................बहुत खूब ! बिलकुल सत्य !
हार्दिक बधाई इस शानदार ग़ज़ल के लिए संदीप जी !
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