For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम्हें चुप रहना है

तुम्हें चुप रहना है
सीं के रखने हैं होंठ अपने
तालू से चिपकाए रखना है जीभ
लहराना नहीं है उसे
और तलवे बनाए रखना है मखमल के
इन तलवों के नीचे नहीं पहननी कोई पनहियाँ
और न चप्पल
ना ही जीभ के सिरे तक पहुँचने देनी है सूरज की रौशनी

सुन लो ओ हरिया! ओ होरी! ओ हल्कू!
या कलुआ, मुलुआ, लल्लू जो भी हो!
चुप रहना है तुम्हें
जब तक नहीं जान जाते तुम
कि इस गोल दुनिया के कई दूसरे कोनों में
नहीं है ज्यादा फर्क कलम-मगज़ और तन घिसने वालों को
मिलने वाली रोटियों में
न गिनती में और ना ही स्वाद में

चुप रहना है तुम्हें जब तक नहीं जान जाते तुम
कि तुम्हें परजीवियों की तरह देखने वालों और तुम्हारे बीच
असलियत में रिश्ता है एक सहजीवी का
ना तुम्हारे बिना उनके सैंडविच बनेंगे
न उनके बिना चढ़ेगी तुम्हारी दाल

जब तक पांच सालों में एक-दो बार ठर्रा-मुर्गा या कम्बल के बदले
'कोऊ नृप होए हमें का हानि...' जपने से नहीं ऊबते तुम
जब तक नहीं हो जाता तुम्हें भरोसा कि
ना सिर्फ अकेले बल्कि भुने हुए चने होकर भी
तुम फोड़ सकते हो भाड़
झुलसा सकते हो तुम्हें उसमें झोंकने वाले को...

या तुम्हें करना होगा इंतज़ार तब तक
जब तक तुम्हारे कुछ और बच्चे
नहीं बन जाते डॉक्टर
नहीं बन जाते इंजीनियर
नहीं बन जाते अफसर नहीं बन जाते नेता
और बनने के बाद तक नहीं आती उन्हें शर्म
हरिया, हल्कू, कलुआ, मुलुआ या लल्लू की संतान कहाने में...

जब तक नहीं भरते वो आवश्यक जगहों में तुम्हारे मूल नामों की जगह
हरीचंद, हल्केराम, कालनाथ, मूलचंद या लालबिहारी
तब तक चुप ही रहना तुम

वरना तोड़ लेना फिर आस की डोर
अपनी साँसों के संग
या छोड़ देना होने को
होनी के ऊपर
फिर से अपने साथ होते आजन्म अन्याय के लिए
अपने ताउम्र शोषण के लिए...

और फेंक देना अपनी-अपनी जुबानें काल-कोठरी में
बस पहन लेना कोल्हू के बैल जैसे हाथ
धोबी के गधे जैसे पैर....
दीपक मशाल

Views: 780

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SUMAN MISHRA on December 14, 2012 at 4:52pm

bahut achee kavita

Comment by Dr.Ajay Khare on December 14, 2012 at 4:18pm

deepak ji badia he

Comment by Anwesha Anjushree on December 14, 2012 at 4:03pm

hmmmm....josh ke sath ..hosh me likha hua...umda..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह बहुत सुन्दर, चित्र जीवंत हो गया..हार्दिक बधाई आदरणीय अशोक जी"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक जी उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिये हार्दिक आभार "
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, सत्य कहा है आपने जागते का स्वप्न सफलता की ओर अग्रसर करता…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
" प्रयास पर आपके मार्गदर्शन के लिये हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रस्तुत घनाक्षरी छंद आपको सुन्दर लगा मेरा रचना कर्म सफल…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत घनाक्षरी छंद पर उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
" आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, मेरा यह प्रयास सफल रहा इसकी मुझे प्रसन्नता है. छंद पर निरंतर…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रदत्त चित्र को बहुत सुन्दरता से परिभाषित किया है. सच है जग में…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   एक  बैग  आज  हाथ, जो  लिया  तो  साथ साथ, आँख…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"मुन्नू अभी पाठशाला जाइए .. बहुत खूब सुझाव शाब्दिक हुआ है.  लेकिन, मुश्किलों को दिखा धता,…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय अखिलेश जी"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक जी बहुत सुन्दर सारगर्भित छंद रचना हार्दिक बधाई "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service