तुमको लिखते हाथ कांपते
अक्सर शब्द सिहरते हैं
तुम क्या जानो तुमसे मिलकर
कितने गीत निखरते हैं
कर लेना सौ बार बगावत
पल भर आज ठहर जाओ
तेरा-मेरा आज भूलकर
चंदन-पानी कर जाओ
तुम बिन मेरा सावन सूखा
बादल खूब गरजते हैं
देख रहे जो झिलमिल लडि़यां
बहते अश्क लरजते हैं
कैसे लिख दूं बदन तुम्हारा
बड़ी कश्मकश है यारा
बदनाम चमन अंजाम सनम
कलम बिगड़ती है यारा
तुमको छूकर नजर नाचती
जख्म सूखकर झरते हैं
सच कहते हैं तेरे बिन हम
ना जीते ना मरते हैं
Comment
आभार प्रदीप जी
तुमको छूकर नजर नाचती
जख्म सूखकर झरते हैं
सच कहते हैं तेरे बिन हम
ना जीते ना मरते हैं
बधाई सर जी
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