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ऐसा हो नहीं सकता

मेरी राख़ को दुनियां वालो
गंगा में ना बहाना
प्रदूषित हो चुकी बहुत
और उसे ना बढ़ाना
करम अगर होंगे अच्छे
तो मिल जाएगी मुक्ति
गंगा जी में बहाने से ही
मुक्ति नहीं मिल सकती
यह है सब बेकार की बातें
ऐसा हो नहीं सकता
किसी के कुकर्मों का अंत
इतना सुखद नहीं हो सकता
गर ऐसा हो जाता
तो हार कोई पापी तर जाता
पाप करने से यहाँ
कोई ना घबराता
कोई ना घबरा----

दीपक शर्मा कुल्लुवी
०९१३६२११४८६
२८-१०-२०१०

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Comment

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Comment by Deepak Sharma Kuluvi on October 29, 2010 at 11:10am
dhanyabad bagi ji
yeh meri ichha hai

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 29, 2010 at 10:54am
गंगा जी में बहाने से ही
मुक्ति नहीं मिल सकती
यह है सब बेकार की बातें,
बहुत खूब दीपक साहब, आप की रचना आप के प्राकृतिक लगाव को प्रदर्शित करती है, गंगा के प्रति प्रेम काबिले तारीफ़ है , बहुत ही सुंदर रचना , बधाई आपको ,

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