For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अपमानों के अंधड़ झेले ; छल तूफानों से टकराए

अपमानों के अंधड़ झेले ;
छल तूफानों से टकराए ,
कंटक पथ पर चले नग्न पग
तब हासिल हम कुछ कर पाए !

आरोपों की कड़ी धूप में
खड़े रहे हम नंगे सिर ,
लगी झुलसने आस त्वचा थी
किंचित न पर हम घबराये !

व्यंग्य-छुरी दिल को चुभती थी ;
चुप रहकर सह जाते थे ,
रो लेते थे सबसे छिपकर ;
सच्ची बात तुम्हे बतलाएं !

कई चेहरों से हटे मखौटे ;
मुश्किल वक्त में साथ जो छोड़ा ,
नए मिले कई हमें हितैषी
जो जीवन में खुशियाँ लाये !



धीरज बिन नहीं कुछ भी संभव ;
यही सबक हमने है सीखा ;
जिन वृक्षों ने पतझड़ झेला
नव कोंपल उन पर ही आये !
शिखा कौशिक 'नूतन'

[ मेरी शोध यात्रा के पड़ावों को इस भावाभिव्यक्ति के माध्यम से उकेरने का एक सच्चा प्रयास मात्र है ये ]

Views: 507

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 23, 2012 at 10:11pm

शोध यात्रा के अनगिन पढ़ावों को आपने मुझे भी याद दिला दिया.... कितने उतार चढ़ाव आते है इस यात्रा में, कभी तो मन बिलकुल हार जाता है, तो कभी एक दिव्य ऊर्जा नया जोश भर देती है, 

लेकिन एक बात है, मंजिल मिल जाने के बाद लगता है...सफ़र कितनी सीखों भरा था, और सफ़र के प्रति नज़रिया भी बदल जाता है.

एक एक शब्द इस रचना का ह्रदय को संवेदित कर रहा है. आदरणीय सौरभ जी की बात से मैं भी सहमत हूँ, आप नवगीत विधा को आत्मसात करें तो निस्संदेह अद्भुत गीत लिख सकेंगी . 

हार्दिक बधाई शोध यात्रा के विविध अनुभवों के सार को मंच पर हम सबके साथ साँझा करने के लिए.

Comment by shikha kaushik on November 23, 2012 at 1:46pm

संभवतः मैं स्पष्ट कर पाया.---निस्संदेह .धन्यवाद


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 23, 2012 at 1:34pm

कष्ट तो शिखा जी आपको ही करना है. इस मंच पर अब कतिपय विधाओं से संबंधित बहुत कुछ पोस्ट हो चुका है. दूसरे, मंच के आयोजनों में मात्र प्रविष्टियाँ नहीं आती, बल्कि रचनाओं और विधाओं पर विशद चर्चाएँ भी होती रहती हैं जिसके माध्यम से वार्तालाप/संवाद क्रम में समीचीन जानकारियाँ साझा होती रहती हैं. आग्रह है, आप उनका अनुसरण करें. अन्य रचनाकारों की रचनाएँ पढ़ें और खु्ली प्रतिक्रिया दें.  सब कुछ सहज होता जायेगा.

संभवतः मैं स्पष्ट कर पाया.

Comment by shikha kaushik on November 23, 2012 at 1:19pm

सौरभ जी उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार .नवगीतात्मक रचनाओं के सृजन के सम्बन्ध में विस्तार से मार्गदर्शन करने का कष्ट करें .सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 23, 2012 at 1:09pm

व्यंग्य-छुरी दिल को चुभती थी ;
चुप रहकर सह जाते थे ,
रो लेते थे सबसे छिपकर ;
सच्ची बात तुम्हे बतलाएं !

अभिव्यक्ति की सचाई पर हार्दिक धन्यवाद, शिखाजी. एक अनुरोध अवश्य करूँगा, आपकी भाषाई प्रवाह उच्च स्तर का है. आप हिन्दी नवगीतात्मक रचनाओं पर प्रयास करें. आपका संप्रेषण विधाओं की कसौटी पर भी मान्य होगा. यह हम सभी के लिये अत्यंत संतोष की बात होगी.

हार्दिक शुभेच्छाएँ.

Comment by shikha kaushik on November 22, 2012 at 10:53pm

अखिलेश जी ,शालिनी जी व् राजेश जी -आप सभी का हार्दिक आभार उत्साहवर्धन हेतु .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 22, 2012 at 6:01pm

वाह शिखा कौशिक जी बहुत अच्छी  प्रवाह मई शिक्षाप्रद कविता  लिखी है बहुत पसंद आई विशेष कर ये पंक्तियाँ तो दिल में घर बनाती हुई हैं ---धीरज बिन नहीं कुछ भी संभव ;
यही सबक हमने है सीखा ;
जिन वृक्षों ने पतझड़ झेला
नव कोंपल उन पर ही आये !

Comment by shalini kaushik on November 22, 2012 at 3:03pm

bahut sundar bhavabhivyakti .sangharshon me hi sahas kee sachchi pariksha hoti hai aur aap ne sangharsh jhelkar safalta hasil kee hai aap sachcha sona hain .badhai itni khoobsurat abhivyakti ke liye.

Comment by akhilesh mishra on November 22, 2012 at 1:29pm

बहुत सुंदर कविता ।मैडम ,बधाई इस सुंदर  कृति के लिए ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
19 hours ago
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service