For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

        मच्छर

इस युग के दो महान प्राणी

जिनकी महिमा सबने जानी

लेता सब कुछ न कुछ देता   

एक  मच्छर दूसरा  है नेता

---------------------------------

गली नुक्कड़ हो या चौबारा 

हर जगह है इनकी पौ बारा 

जिनके बूते जग में हैं  पलते 

अवसर पा शरीर में डंक भरते 

---------------------------------

सूरत सीरत पे इनकी न जाओ 

लाख बचो इनसे पर बच न पाओ 

भुनभुना के मीठा संगीत सुनाते 

चुपके से  जनता का खून पी जाते 

---------------------------------------

जनम लेते तब लगते ये मर गिल्ले 

पीते  खून फूटते  तब इनके  किल्ले 

सफ़ेद रंग फिर काला अंत में  लाल

भूख गरीबी महंगाई से जनता बे हाल 

------------------------------------------- 

कैंसर  मलेरिया डेंगू कई रोगों के कारक 

बच न सका कोई  भैया हैं   ये बड़े  मारक 

बतलाता तुमको उपाय चाहो अगर जीना 

काटते  मर जायेंगे पड़ेगा तुमको जहर पीना 

-------------------------------------------------- 

निर्णय तुमको करना है जीना है या मरना है 

आगे बढ़ संघर्ष करो कायरों से क्या डरना है 

उज्जवल भविष्य हो  भारत का कर्तव्य हमारा है 

पियो गरल  शिव बनो या शव निर्णय तुम्हारा है.

-------------------------------------------------------

Views: 663

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 21, 2012 at 10:34am

आदरणीय सूरज जी, सादर 

स्नेह हेतु आभार. 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 21, 2012 at 10:33am

आदरणीय अशोक जी, सदर अभिवादन 

स्वीकार. आपको भी. 

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on November 20, 2012 at 10:36am

इस युग के दो महान प्राणी

जिनकी महिमा सबने जानी

लेता सब कुछ न कुछ देता   

एक  मच्छर दूसरा  है नेता

---------------------------------॥आदरणीय प्रदीप जी मैं आपकी इन पंक्तियों से सहमत नहीं हूँ....आजकल नेता और मच्छर लेने से ज्यादा दे रहे है हैं......मसलन मच्छर चूसता(यानि की लेता) एक बूंद खून है और देता है सैकड़ों बीमारियाँ जैसे मलेरिया, डेंगू, फैलारिया इत्यादि और नेता लेता है बस एक वोट और देता है लाखों के घोटाले, भ्रस्टाचार, बेईमानी, नफरत, दंगे, बलत्कार  इत्यादि....मज़ाक कर रहा हूँ॥बहुत सुंदर पंक्तियों से नवाजा है इस मंच को आपने।

बधाई स्वीकार करें !.... 

Comment by Ashok Kumar Raktale on November 19, 2012 at 8:53pm

आदरणीय प्रदीप जी 

                      सादर, सुन्दर व्यंग रचना के लिए बधाई स्वीकारें.

मच्छर मालामाल,अरु जनता है बेहाल,

चूसा खुँ जनता का,है इनको नहीं मलाल,

रोग ये फैलाते, कानो  में  भुनभुनाते,

भूख  बेकारी अरु, बलात्कार भी कराते.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 17, 2012 at 2:29pm

आदरणीय रविकर जी, सादर 

आपसे सिखने को मिल रहा है. 

धन्यवाद 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 17, 2012 at 2:27pm

आदरणीय रणवीर जी, सादर अभिवादन 

प्रोत्साहित करने हेतु आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 17, 2012 at 2:23pm

आदरणीय लड़ीवाला जी, सादर अभिवादन 

आप उत्साह बढ़ाते रहते हैं आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 17, 2012 at 2:13pm

आदरणीया प्राची जी, सादर 

उत्साह वर्धन हेतु आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 17, 2012 at 2:08pm

आदरणीय फूल सिंह जी, सादर 

आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 17, 2012 at 2:07pm

आदरणीय नादिर जी, 

सादर अभिवादन 

प्रोत्साहन हेतु आभार 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
17 hours ago
Chetan Prakash commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"मुस्काए दोस्त हम सुकून आली संस्कार आज फिर दिखा गाली   वाहहह क्या खूब  ग़ज़ल '…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२ ***** जिनकी ज़बाँ से सुनते  हैं गहना ज़मीर है हमको उन्हीं की आँखों में पढ़ना ज़मीर…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं स्नेह के लिए आभार। आपका स्नेहाशीष…"
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. "
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
Wednesday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
Tuesday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service