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सबसे मिलना तो इक बहाना है

सबसे मिलना तो इक बहाना है
कौन अपना है अजमाना है 

मै कोई ख्वाब आँखों में सजाता ही नहीं
इल्म होता जो बिखर जाना है


बड़े जतन से रक्खा था सहेजा था जिसे 
सब्र का लुट रहा वही खज़ाना है

है मिरी हिम्मत पत्थर या संगेदिल तू
ये वक्त तुझको भी अजमाना है

ग़मों की दरिया को ग़र है ऐतबार मुझपे
तो फ़र्ज़ मुझको भी समंदर का निभाना है

झूंठ है की मै तेरा कुछ भी नहीं मगर
रिश्ता खुद से भी तो कुछ निभाना है

पेट को रहती है फिक्र दिल की मगर
काम दिल का तो दिल लगाना है

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Comment

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Comment by रविकर on November 5, 2012 at 11:08am

बहुत बढ़िया |
बधाई आदरणीय ||

Comment by shalini kaushik on November 4, 2012 at 2:59pm

ग़मों की दरिया को ग़र है ऐतबार मुझपे
तो फ़र्ज़ मुझको भी समंदर का निभाना है

very nice presentation.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 4, 2012 at 11:03am

अजय शर्मा जी , सुन्दर भाव है , जरा वजन पर ध्यान दें | बधाई इस अभिव्यक्ति पर |

कृपया ध्यान दे...

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