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धड़कते दिल की सदा है तू

धड़कते दिल की सदा है तू
मुहब्बतों की खुदा है तू

के तेरा नाम है मुहब्बत
किसे खबर है के क्या है तू

तेरी ज़रूरत है इस जहाँ को
दहकती हुई हर इक फ़िज़ा को

तू ही मंदिर तू ही मस्जिद
तू ही बच्चे की तोतली बोली

तू ही ममता का बे हिसाब साया
तू ही है पापा की डांट जानूं

तू ही चिड़ियों की चहचहाहट
तू ही है कलियों की मुस्कुराहट

तेरे दम से बहार क़ायम
मैं क्या गिनाऊँ तेरे गुणों को

के तू मुहब्बत है तू मुहब्बत है
तेरी ज़रूरत है कुल जहाँ को.

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Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on October 25, 2010 at 12:24pm
धड़कते दिल की सदा है तू
मुहब्बतों की खुदा है तू

के तेरा नाम है मुहब्बत
किसे खबर है के क्या है तू

बहुत ही बढ़िया रचना है आदिल साहब.,.,.,..ऐसेही लिखते रहे...बहुत ही उम्दा लिख रहे हैं आप...

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 21, 2010 at 7:53pm
तू ही मंदिर तू ही मस्जिद
तू ही बच्चे की तोतली बोली,

अच्छी कविता है आदिल भाई, बेहतरीन प्रस्तुति ,

कृपया ध्यान दे...

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