For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बात कुछ ऐसी थी, सपनो में हम खो से गए..०१
चांदनी रात थी,
उजला आकाश था..
नदियों में लहरे,
और नीला प्रकाश था..
मछलियों की वो गुनगुनाहट,
और हर-हराती लहरे..
क्या खूब नज़ारा,
मन क्यों न अब उसपर ठहरे..

बात कुछ ऐसी थी, सपनो में हम खो से गए..०२
फिर शांत हुई लहरे,
मेरा चेहरा सामने आया..
जैसे
नदियों ने मुझे,
गोद में था बैठाया..
सुकून  इतना मिला,
जैसे पा लिया ईश्वर को.
जैसे मिल गई हो छत,
मेरे सूने इस सर को...
बात कुछ ऐसी थी, सपनो में हम खो से गए..०३

सूरज की किरणे जब निकली,
तब पलकों को झपकाया.
जैसे लगा मुझे, मैं स्वर्ग से घूम कर आया..
बात कुछ ऐसी थी, सपनो में हम खो से गए..०४

Views: 367

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pradeep Kumar Kesarwani on September 1, 2012 at 10:29am

रेखा जी.. तहे दिल से आपको धन्यवाद्

Comment by Pradeep Kumar Kesarwani on September 1, 2012 at 10:29am

राजेश कुमारी जी....
सुक्रिया आपका

Comment by Rekha Joshi on August 31, 2012 at 9:08pm

सूरज की किरणे जब निकली, 
तब पलकों को झपकाया. 
जैसे लगा मुझे, मैं स्वर्ग से घूम कर आया.. 
बात कुछ ऐसी थी, सपनो में हम खो से गए.,खूबसूरत सपने प्रदीप जी ,बहुत बहुत बधाई इस सुंदर रचना पर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 31, 2012 at 7:06pm

मेरा चेहरा सामने आया.. 
जैसे
 नदियों ने मुझे, 
गोद में था बैठाया.. 
सुकून  इतना मिला, 
जैसे पा लिया ईश्वर को. 
जैसे मिल गई हो छत, 
मेरे सूने इस सर को.---सुन्दर पंक्तियाँ 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 31, 2012 at 2:39pm

यह पढ़कर ख़ुशी हुई की आपको सपने में सकून मिला जैसे इश्वर पा लिए इस सुन्दर सुनहरे अहसास की लिए हार्दिक बधाई |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
55 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
56 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, आप का बहुत धन्यवाद।  "दोज़ख़" वाली टिप्पणी से सहमत हूँ। यूँ सुधार…"
58 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"//दोज़ख़ पुल्लिंग शब्द है//... जी नहीं, 'दोज़ख़' (मुअन्नस) स्त्रीलिंग है।  //जिन्न…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, बहतर है।"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। आशा है कि…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की  टिप्पणी क़ाबिले ग़ौर…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये हेर शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ है, फिर भी…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गिरह ख़ूब, अमित जी की टिप्पणी…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service