For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मास है ये श्री शिव महेश का बाबाजी



क्या बतलाऊं हाल देश का बाबाजी
झगड़ा, टंटा, हठ, क्लेश का बाबाजी

माल स्वदेशी कौन ख़रीदे  भारत में
सबको चस्का है विदेश का बाबाजी

कालिख भ्रष्टाचार की किस दिन जायेगी
धोला हो गया रंग केश का बाबाजी 

पाखंडियों  ने  इतना पापाचार किया
मान घट गया भगवा वेश का बाबाजी

वे भी अमेरिकन घुटनों पर चलते हैं
नारा जिनका था स्वदेश का बाबाजी

सावन आया, बम भोले की गूंज उठी
मास है ये श्री शिव महेश का बाबाजी

दिखे नहीं महा उत्सव में वे 'अलबेला'
पता करो 'बागी' गणेश का बाबाजी

_अलबेला खत्री

Views: 777

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Albela Khatri on July 12, 2012 at 7:27am

आदरणीय उमाशंकर जी,
सुप्रभात -नमस्कार
बहुत ही प्यारी और रससिक्त  टिपण्णी की है आपने ....बांच कर मन बल्लियों उछलने लगा है

धन्यवाद हुज़ूर !

Comment by UMASHANKER MISHRA on July 11, 2012 at 10:52pm

बहुत बढ़िया व्यंग

कई जगह में बहुत उम्दा किस्म के  शाट लगाये गये है बंधु दिल गद गद हो गया व्यवस्था से लेकर आडम्बरो को भी धोया मज़ा आ गया वे भी अमेरिकन घुटनों पर चलते हैं
नारा जिनका था स्वदेश का बाबाजी ......यहाँ तो गज़ब किया भैय्या गज़ब कियो रे सावन आया, बम भोले की गूंज उठी...हर हर महादेव

दिखे नहीं महा उत्सव में वे 'अलबेला'
पता करो 'बागी' गणेश का बाबाजी........सच फरमाया सावन क महीना है और गणेश  जी नज़र नहीं आये .............. आपकी खुपिया आँखों से क्या कोई बच पायेगा

आदरणीय अलबेला जी  तीखे  व्यंग को प्रणाम

हास्य व्यंग का अद्भुत प्रदर्शन बधाई ही बधाई

Comment by Albela Khatri on July 11, 2012 at 10:17pm

धन्यवाद  दीप्ति जी...........

__आपके स्नेहिल प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद

Comment by Albela Khatri on July 11, 2012 at 10:12pm

आदरणीय संदीप द्विवेदी जी.....
आपकी सराहना ने मन को प्रफुल्लित कर दिया
ऊर्जस्वित कर दिया ......
___आभार

Comment by deepti sharma on July 11, 2012 at 7:22pm

वाह वाह बहुत खूब

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on July 11, 2012 at 1:57pm

पाखण्डियों ने इतना पापाचार किया
मान घट गया भगवा वेश का बाबाजी-------- वाह साहब वाह.. क्या कटाक्ष किया है बिलकुल तिलमिला देने वाला..

और सावन की महिमा का क्या ख़ूब बखान किया आपने... ह्रदय आनंदित हो उठा..

बम-बम भोले..!!

सादर,

Comment by Albela Khatri on July 10, 2012 at 11:02pm

बस उन्हीं का इन्तेज़ार है आशीष यादव जी.......
आएगा ........आएगा .....आएगा, आएगा आने वाला ...आएगा ..........
हा हा हा हा
__धन्यवाद आशीष जी, आपकी सराहना सर आँखों पर

Comment by आशीष यादव on July 10, 2012 at 10:52pm

वाह, हास्य का पुट आप बड़ी आसानी से निकाल लेते हैं। बहुत ही सुन्दर।
बागी जी, आप कहाँ है, आइये यहाँ और हाजिरी लगवा जाइये। महा-उत्सव मे तो दिखे नही।

Comment by Albela Khatri on July 10, 2012 at 10:46pm

आदरणीय सौरभ जी........
यही तो कर्म है कवि का...........

 जहाँ लोग न पहुंचे कभी
वहां कवि पहुँच जाए अभी......हा हा हा ये तो जुमला बन गया .जय हो !

___समाज की विसंगतियों पर  ही नज़र न डालें अथवा लोगों को न चेतायें तो फिर कविता करनी ही क्यों ?

____आपने सराहा और इस तथ्य पर गौर किया ....आभारी हूँ


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 10, 2012 at 10:04pm

पाखंडियों  ने  इतना पापाचार किया
मान घट गया भगवा वेश का बाबाजी

क्या कहा जाय ? आपने उस ओर इशारा किया है जिस ओर लोग अक्सर देखने और फिर समझने की ज़हमत नहीं उठा रहे आज. बहुत खूब.

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
13 hours ago
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service