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किस ज़ुर्म की
 
मुझको मेरे किस ज़ुर्म की सजा देते हो
आप तो मेरे अश्कों से भी मज़ा लेते हो
हम मुहब्बत के लिए जीते रहे और मर भी गए
आप मुझको नहीं खुद को भी दगा देते हो
मुझको मेरे किस ज़ुर्म की स----------
हम भी बच सकते थे आग दिल की कम हो जाती
आप बुझने ही कहाँ देते हवा देते हो
मुझको मेरे किस ज़ुर्म की स----------
दीपक 'कुल्लुवी' की हँसी पे न जाना तू ऐ-दोस्त  
हँसना चाहते हैं मगर तुम ही रुला देते हो
मुझको मेरे किस ज़ुर्म की स----------
 
दीपक 'कुल्लुवी'
१/७/१२.

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Comment

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Comment by Deepak Sharma Kuluvi on July 18, 2012 at 5:11pm

dhanyabad sandeep ji for your valuable comments

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 13, 2012 at 11:18am

अच्छे भावों से सजी सुन्दर कुछ हास्य का पुट भी लिए हुए सुन्दर रचना के लिए बधाई दीपक जी

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on July 13, 2012 at 11:14am
शुक्रिया उमाशंकर जी 
 
आपकी दिली बधाई हमारा हौंसला और बढ़ाएगी और दर्द और कम करेगी.....
 
दीपक 'कुल्लुवी '
Comment by UMASHANKER MISHRA on July 11, 2012 at 10:27pm
मुझको मेरे किस ज़ुर्म की सजा देते हो
आप तो मेरे अश्कों से भी मज़ा लेते हो ... वाह वाह .....क्या बात है क्या बात है मेरे आंसुओं से भी मजा लेते हो
हम मुहब्बत के लिए जीते रहे और मर भी गए
आप मुझको नहीं खुद को भी दगा देते हो........ तुम मुझे नहीं समझ सकी हम प्यार में जिए प्यार में मरे
हम भी बच सकते थे आग दिल की कम हो जाती
आप बुझने ही कहाँ देते हवा देते हो           बेहेतरिन हर शेर बेहेत्रिन आला दर्जे की उम्दा
दीपक शर्मा जी वाह वाह बहुत खूब कहा आपने दिल से बधाई
 
Comment by Deepak Sharma Kuluvi on July 11, 2012 at 10:10am

आशीष  जी रेखा जी अलवेला जी हरीश जी आप सबका शुक्रिया और आप सबका  प्यार आशीर्वाद साथ रहा तो ................

न हँसेंगे खुशियों में
न रोएँगे हम ग़म में
हमने तो हर हाल में
जीने की कसम खा ली
'कुल्लुवी ' 
Comment by आशीष यादव on July 10, 2012 at 11:18pm

बहुत खूब सर।

Comment by Rekha Joshi on July 10, 2012 at 7:15pm

दीपक जी ,सादर 

हँसना चाहते हैं मगर तुम ही रुला देते हो
मुझको मेरे किस ज़ुर्म की स,अति सुंदर रचना ,बधाई 
Comment by Harish Bhatt on July 10, 2012 at 1:05pm

दीपक जी नमस्‍ते, बहुत सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई

Comment by Albela Khatri on July 10, 2012 at 12:40pm

वाह वाह दीपक कुल्लुवी जी....
बहुत बढ़िया रचना,,,,,,,,

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