For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं वोटर हूँ
एक आम मतदाता,
इसी देश का नागरिक
भीड़ का एक चेहरा
ज्यादा नहीं कमाता
शायद लिखना भी नहीं आता;
मेरा कोई संगठन नहीं
कोई नारा नहीं
हैलीकॉप्टर से तो दिखता भी नहीं
बहुत छोटा हूँ मैं
चिल्लाता हूँ कोई सुनता नहीं
इतना खोटा हूँ मैं;
इसी का आदी हूँ
शिकायत नहीं करता,
मेरा भी महत्त्व है
अचानक पता लगता,
पाँच सालों में; एक बार,
जब झुग्गियों में स्कॉर्पियो आती है,
काफिले आते हैं,
मैं "जनता जनार्दन" हो जाता हूँ
देसी पीने वाला
मुफ्त अंग्रेजी पाता हूँ
उस दिन पैसों की भी कमी नहीं होती
आँखों में रोज सी नमी नहीं होती,
"माननीय" नतमस्तक आते हैं
चरण-स्पर्श तक से न शर्माते हैं
कहते हैं सारी भले की
पर अटकती है आवाज
मेरे गले की,
उस दिन बस
मैं ही मैं होता हूँ
असीमित अधिकार होते हैं
गाड़ियाँ चली जातीं हैं
पर वोट दिलाने लेने आतीं हैं,
चुनाव ख़त्म
यकायक, सब पहले सा हो जाता है
वही सडकें, टूटी झोपड़ियाँ,
कौन जीता-हारा
थोडा-बहुत पता चल पाता है
मुझे क्या,
सब बड़े लोगों की बातें हैं|
कुछ बुद्धिजीवियों को बतियाते सुनता हूँ
"योजनायें बनती हैं पर गरीबों
का भला नहीं होता, क्यों?"
वो कारण भी बताते हैं,
मुझे समझ आये तब तो
खैर, मैं तो ऐसा ही रहूँगा
लात-गाली सब सहूँगा,
आपलोग अपनी कहिये
फ़ालतू चक्कर में मत रहिये; 

मैं चलता हूँ,

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा
झंडा ऊँचा रहे हमारा
विजयी विश्व.......
झंडा ऊँचा......

Views: 367

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on June 19, 2012 at 10:50am
धन्यवाद बड़े भैया...आपका समर्थन उत्साहवर्धक है।
Comment by Albela Khatri on June 19, 2012 at 9:37am

waah !

bahut khoob.........jai ho

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on June 17, 2012 at 8:14pm
आपका हार्दिक आभार सर।
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 17, 2012 at 1:27pm

यथार्थ. बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
15 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Dharmendra Kumar Yadav's blog post ममता का मर्म
"बंधु, नमस्कार, रचना का स्वरूप जान कर ही काव्य का मूल्यांकन , भाव-शिल्प की दृष्टिकोण से सम्भव है,…"
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"अच्छे दोहे हुए हैं, आदरणीय सरना साहब, बधाई ! किन्तु दोहा-छंद मात्र कलों ( त्रिकल द्विकल आदि का…"
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service