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मैं वोटर हूँ
एक आम मतदाता,
इसी देश का नागरिक
भीड़ का एक चेहरा
ज्यादा नहीं कमाता
शायद लिखना भी नहीं आता;
मेरा कोई संगठन नहीं
कोई नारा नहीं
हैलीकॉप्टर से तो दिखता भी नहीं
बहुत छोटा हूँ मैं
चिल्लाता हूँ कोई सुनता नहीं
इतना खोटा हूँ मैं;
इसी का आदी हूँ
शिकायत नहीं करता,
मेरा भी महत्त्व है
अचानक पता लगता,
पाँच सालों में; एक बार,
जब झुग्गियों में स्कॉर्पियो आती है,
काफिले आते हैं,
मैं "जनता जनार्दन" हो जाता हूँ
देसी पीने वाला
मुफ्त अंग्रेजी पाता हूँ
उस दिन पैसों की भी कमी नहीं होती
आँखों में रोज सी नमी नहीं होती,
"माननीय" नतमस्तक आते हैं
चरण-स्पर्श तक से न शर्माते हैं
कहते हैं सारी भले की
पर अटकती है आवाज
मेरे गले की,
उस दिन बस
मैं ही मैं होता हूँ
असीमित अधिकार होते हैं
गाड़ियाँ चली जातीं हैं
पर वोट दिलाने लेने आतीं हैं,
चुनाव ख़त्म
यकायक, सब पहले सा हो जाता है
वही सडकें, टूटी झोपड़ियाँ,
कौन जीता-हारा
थोडा-बहुत पता चल पाता है
मुझे क्या,
सब बड़े लोगों की बातें हैं|
कुछ बुद्धिजीवियों को बतियाते सुनता हूँ
"योजनायें बनती हैं पर गरीबों
का भला नहीं होता, क्यों?"
वो कारण भी बताते हैं,
मुझे समझ आये तब तो
खैर, मैं तो ऐसा ही रहूँगा
लात-गाली सब सहूँगा,
आपलोग अपनी कहिये
फ़ालतू चक्कर में मत रहिये; 

मैं चलता हूँ,

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा
झंडा ऊँचा रहे हमारा
विजयी विश्व.......
झंडा ऊँचा......

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Comment

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Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on June 19, 2012 at 10:50am
धन्यवाद बड़े भैया...आपका समर्थन उत्साहवर्धक है।
Comment by Albela Khatri on June 19, 2012 at 9:37am

waah !

bahut khoob.........jai ho

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on June 17, 2012 at 8:14pm
आपका हार्दिक आभार सर।
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 17, 2012 at 1:27pm

यथार्थ. बधाई 

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