कटाक्ष... क्रिकेट बनाम थप्पड़-मुक्केबाजी........! भाई साहब, क्रिकेट इक दर्शन है.... आय. पी . एल.' उसका विराट प्रदर्शन है.आज देश की पहचान पूरे विश्व में इसी कारण है.वो कितने अफसोसनाक दिन थे जब हमारे देश को घोर गरीबी क़े कारण जाना जाता था.आई पि एल ने हमारे प्रति दुनिया का नजरिया ही बदल दिया. आज क्रिकेट में क्या नही है!! शोहरत है..पैसा है...ऐय्याशी क़े छलकते जाम है ..मरमरी बांहें हैं ..शोख निगाहे है...चमकते सितारे है...संसद में दारू बनाने,पीने-पिलाने वालो का नेतृत्व करने वाले हस्ताक्षर है.बोलियों पे बिकाऊ क्रिकेटर है....रंगीन रातें हैं.....जाने क्या नही है....सिवा गंभीर क्रिकेट के. अब इतना सब हो तो उस विधा को दर्शन कहना कोई अतिश्योक्ति है क्या? इसमे मैदान पर फ्री स्टाइल तमाचे है..जिसके कारण भज्जी-श्रीसंत आज तक पहचाने जाते हैं(क्रिकेट में भले उतनी पहचान न बने) अब भला बड़े परदे क़े हकले-हीरो को ये सब कैसे बर्दाश्त हो कि नौसिखिये तमाचे चला कर या टीम-ओनर की बीबी को लिफ्ट कर रातो-रात स्टार बन जाये...सो इस बार बादशाह कमर कस क़े मैदान पर उतरे...कंट्रोवर्सी करना तो जैसे उनके रगों में कुलांचे भरता है.सो निकला जेब से इक मुक्का निकाला और दिखा दिया उस गरीब द्वारपाल को...बस फिर क्या था सारे चैनल-वीर तो जैसे ऐसे ही मसालों क़े लिए रात-दिन इधर-उधर सूंघते फिरते हैं.दिखा दी स्टार ने अपनी चमक.विदेशो में हो तो बिना मुक्के ही काम चल जाता है,सुरक्षा के नाम पर पूरे कपड़े उतारकर सारी बोले तो भी चालता है मगर ...देश हो तो मुक्का या झापड़ या चप्पल निकालनी पड़ती है. आजकल आय. पी . एल.' और रुपैय्ये का चरित्र लगातार नीचे गिर रहा है.रूपया गिरे भी क्यों न! मारे शर्म क़े वो गिर रहा है.नाम क्रिकेट का दांव पैसे का.तमाम चरित्रवान लोग विजय भाऊ,शरद भाऊ,मुकेश भाई,शाहरुख़ भाईजान,प्रीटी दीदी,सब क़े सम्मिलित प्रयास क़े बावजूद आय. पी . एल.' क़े चरित्र का पारा है कि कश्मीर की घाटी की तरह नीचे ही लुढ़क रहा है. इस २०-२० क़े कारण क्रिकेटरों को काम करने क़े अतिरिक्त अवसर और समय दे दिया है.(ये बात अलग है कि देश कि सर्वोच्च संस्था यानी संसद में शपथ लेने का समय तथाकथित क्रिकेट क़े भगवान क़े पास नही है.) २०-२० क़े क्रिकेटर खाली समय में अपने आस-पास मंडराती बालाओं का विनय-भंग करने जैसे महान कार्यों में खुद को बीजी रखते है,रेव-पार्टी में अपनी उर्जा का सदुपयोग करते हैं.बास! बोलियों में बीके इन खिलाडियों को क्या इतना भी अधिकार नही कि वे अपनी मर्जी से कोई भी काम कर सके.!!! आखिर इस आय. पी . एल.' का जन्म ही तो एन्टरटेनमेंट ...एन्टरटेनमेंट ...एन्टरटेनमेंट क़े लिए ही हुआ है तो फिर भज्जी क़े थप्पड़...बादशाह क़े मुक्के...चीयर-बालाओं क़े ठुमको पे इतना ज्यादा बवाल क्यूँ? वस्तुत: आय. पी . एल.' को अलग अलग पढ़े तो पहला अक्षर है "आय" यानी कमाई...रोकडा...धन-दौलत. दूसरा है" पी "मतलब २०-२० में थक-थका कर जम के दारू पी और "एल "यानी लड़कियों से नैन -मटक्का कर...फ्लर्ट कर...अंततोगत्वा ...मै क्या कहू 'आय. पी . एल.' के इतने सीज़न देख कर आप सभी समझदार हो गए है... भाई! मिडिया वालों जरा सोचो अगर ये सारी घटनाये न हो तो आप अपना इडियट बाक्स का पर्दा औरअखबारों क़े पन्ने कैसे रंगीन करोगे. "कन्ट्रोवर्सी के लिये लगते सदा कयास. थप्पड़-मुक्केने रचा,सदा यहाँ इतिहास." --अविनाश बागडे.
Comment
आय पी एल ....भाई साहब ये तो प्योर भोजपुरी शब्द है , आव पी ले यानी आइये पी लीजिये हा हा हा हा बहुत ही तगड़ा और घुमा कर दिया है आपने, बधाई इस पोस्ट पर |
अविनाश जी ,बहुत बढ़िया व्यंग आई पी एल पर ,बधाई |
क्या बात सर ..क्या खूब कही :) कही तो कही हिंगलिश में आई पी यल का मतलब भी समझाया ... अब टीम भी तो हिंगलिश ही है ना ... :) बधाई आपको
आदरणीय डॉ. बाली जी और सुरेन्द्र ' भ्रमर ' जी
अविनाश भाई बढ़िया व्यंग्य ...मज़ा आ गया। विशेषकर आय पी एल का फुल फॉर्म जानकार.........बधाइयाँ !
आदरणीय अविनाश भाई करार व्यंग्य ..अच्छी व्याख्या और आई पी यल के मायने ...आनंद आ गया ..काश ये भी पढ़ें होश में आयें एक के बाद एक शर्म लिहाज ये पी गए हैं ....भ्रमर ५
आदरणीय प्रदीप जी क्या बात है
राजेश कुमारी मैम ...बहुत-बहुत आभार.
बागडे जी बहुत सार्थक ,सटीक कटाक्ष है यही तो हो रहा है आजकल ...बधाई
आदरणीय अविनाश जी, सादर
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