१. बौराया आम
चहका उपवन
आया बसंत
२. गरजे घन
नाच उठा किसान
बुझेगी प्यास
३.दहेज़ भारी
कुरीतियों की मारी
वधु बेचारी
४.अंकुर बनी
अभी नहीं खिली थी
भ्रूण ही तो थी
५.शोर है कैसा
कुर्सी पे तो है बैठा
अपना नेता
६ धर्म की आड़
बाबाओ का व्योपार
दुखी संसार
७. ठाट बाट में
कानून की आड़ में
कैदी दामाद
८. टूटे सपने
Comment
सभी हाइकु अच्छे लगे| शिल्प और कथ्य दोनों का ही अच्छा संगम है|
अत्यंत सुन्दर ........ बधाई महिमा जी
bade hi sundar haaiku ki rachna ki hai aapne.ek se badhkar ek. sarita ji ne sahi kaha ki gaagar me saagar bharne ka kaam kiya hai.
badhai
महिमा जी, नमस्कार,
महिमाजी, आपने हाइकू के मूल शिल्प को कस कर बाँध लिया है. तथ्य के लिये बिम्ब भी प्रभावकारी हैं.
आपका रचना प्रयास स्व-अध्ययन के संबल से कितना निखर रहा है यह कहने नहीं बस गुनने की बात है. बहुत-बहुत बधाई.
आप सब ने मुझे प्रेरित किया है ..ह्रदय से आभार
सुंदर हाइकू प्रस्तुत किये महिमा जी! बहुत अच्छे लगे| विशेषकर नं. ३ का हाइकू
दहेज़ भारी
कुरीतियों की मारी
वधु बेचारी
पसंद आया| बधाई आपको| :))
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