For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

१. बौराया आम
चहका उपवन
आया बसंत

२. गरजे घन
नाच उठा किसान
बुझेगी प्यास

३.दहेज़ भारी
कुरीतियों की मारी
वधु बेचारी

४.अंकुर बनी
अभी नहीं खिली थी
भ्रूण ही तो थी

५.शोर है कैसा
कुर्सी पे तो है बैठा
अपना नेता

६ धर्म की आड़
बाबाओ का व्योपार
दुखी संसार

७. ठाट बाट में
कानून की आड़ में
कैदी दामाद

८. टूटे सपने

डिग्रियां बनी भार 
 बेरोजगार

९.व्याकुल मन
लगे जैसे है स्वर्ग
मैया की गोद

Views: 629

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MAHIMA SHREE on April 24, 2012 at 4:28pm
आदरणीय प्रदीप सर ,
सादर प्रणाम .
सर आपका आशीर्वाद मिलता रहे यूँही .यही कामना है ...
आपको अच्छा लगा , मुझे ख़ुशी मिले , स्नेह बनाये रखे
आपका ह्रदय से धन्यवाद
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 24, 2012 at 11:50am

स्नेही महिमा जी, शुभाशीष.

१-९ तक बढ़िया. आपका  ये कौशल प्रदर्शन मुझे अभिभूत कर रहा है. 
बधाई.  
Comment by MAHIMA SHREE on April 23, 2012 at 1:30pm
आदरणीय अभिनव जी ,
नमस्कार , आपका हार्दिक धन्यवाद
Comment by Abhinav Arun on April 23, 2012 at 1:00pm

आदरणीया महिमा जी आपके रचने हाइकू पसंद आये भाव और शिल्प सशक्त हैं बधाई आपको !!

Comment by MAHIMA SHREE on April 23, 2012 at 12:36pm
आदरणीय अशोक सर , आदरणीय अविनाश सर , प्रिय मृदु जी व् रोहित जी ,
आप सबको नमस्कार ,
सराहना के लिए आप सबकी आभारी हूँ ,,स्नेह बनांये रखे ह्रदय से धन्यवाद /
Comment by Rohit Sharma on April 23, 2012 at 11:28am

हाइकु के बारे में पहली बार सुना हूँ इसलिए क्या कहूँ ? परन्तु बहुत अच्छा लगा.

Comment by AVINASH S BAGDE on April 23, 2012 at 11:14am

अंकुर बनी

अभी नहीं खिली थी

भ्रूण ही तो थी... महिमा जी खूबसूरत हाइकु.......बधाई

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 22, 2012 at 10:37pm

आदरणीया महिमा जी खूबसूरत हाइकु के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 22, 2012 at 8:31pm

महिमा जी,
              हाइकु का ज्ञान तो नहीं है मगर पढ़कर मै जो समझ पा रहा हूँ तो यही कहूंगा सुन्दर प्रयास है.बधाई.

Comment by Ajay Kumar Dubey on April 22, 2012 at 7:27pm

महिमा जी, नमस्कार,

हाइकू का शाब्दिक अर्थ क्या होता है ?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service