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यथार्थ. एक मजदूर की मनोदशा को चित्रित कराती हुयी , सुन्दर कहानी.
बधाई.
आपका स्वागत है !
आदरणीय अम्बरीश सर ,
नमस्कार .
आपने समय निकाल कर कहानी पढ़ी , आभारी हूँ , उत्साहवर्धन के लिए
आपका हृदय से धन्यवाद
महिमा जी ! यथार्थ पर आधारित कहानी लिखने का बहुत अच्छा प्रयास किया है आपने ! बधाई स्वीकारें |
कहानी... अपना घर बनाने के लिये दूसरों का घर तोडने के भाव से प्रारंभ होती हुई कुछ ना कर पाने की छटपटाहट पर समाप्त होती है...अच्छी कहानी है....
आदरणीय सौरभ सर ,
सादर नमस्कार ,
आपकी बात से सहमत हूँ कम शब्दों में भी अपनी बात रखी जा सकती है , आपकी बात समझ में आ गयी , भविष्य में ध्यान रखूंगी /
थोडा सा भावुक हो गयी इस लिए प्रतिक्रिया तीखी हो गयी है मुझे भी एहसास हुआ .
आपका ह्रदय से आभार
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