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किसका किसका हिसाब बाक़ी है

किसका किसका हिसाब बाक़ी है,
जाने क्या क्या अज़ाब बाक़ी है......

नब्ज़ देखो अभी भी चलती है,
हसरते टूट गयीं जान अब भी बाक़ी है.....

दिलों के ज़ख्म हैं आँखों की राह रिसते हैं,
तुम समझते हो कि आँसू हमारे बाक़ी हैं.....

सुनो एक बात पूछनी थी, मगर रहने दो,
तुम को क्या पता एहसास कहाँ बाक़ी है.....

मेरे गुनाहों की फ़ेहरिस्त ज़रा लम्बी है,
खुदा सुना चुका सज़ा भगवान अभी बाक़ी है.....

याद से ले लो तुम्हारा जो कुछ निकलता हो,
फिर न कहना कि हमारा हिसाब बाक़ी है.....

फिर क़यामत के दिन बस हम होंगे और खुदा होगा,
मेरा तुमसे नहीं , उस से हिसाब बाक़ी है.....

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Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 16, 2012 at 3:36pm

सरिता जी ये रचना बहुत अच्छी लगी ! बधाई हो !!

Comment by Sarita Sinha on April 15, 2012 at 12:55pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी, नमस्कार, आपका बहुत धन्यवाद... मैं कोशिश करूँगी  ...


Comment by Sarita Sinha on April 15, 2012 at 12:50pm

आदरणीय कुशवाहा जी, नमस्कार,

ये नज़्म काफी पुरानी है, इस पर मेरा बड़ा मजाक बन चुका है...सब से मज़ेदार बात तो मेरे पतिदेव ने कही....
वो कहते हैं कि"कर दी न लाला वाली बात, हिसाब करने पहुँच  गयी..."
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 14, 2012 at 10:34pm

फिर क़यामत के दिन बस हम होंगे और खुदा होगा,
मेरा तुमसे नहीं , उस से हिसाब बाक़ी है.....

kya baat hai. lekha shashtr bhi padhne lagin. kuch hisaab aese hote hain jo kabhi chukaye nahi ja sakte. badhai.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 14, 2012 at 2:25am

भवनाप्रधान उद्बोधन है, किन्तु ऐसे उद्बोधनों के लिये साधन को साध कर समर्थवान करना भी आवश्यक है. आपके कथ्य और प्रस्तुत अभिव्यक्ति की कहन आशान्वित करती हैं.  सरिता जी, इस ड्यौढ़ी पर आप सहर्ष आयी हैं तो पूर्व प्रविष्टियों के प्रकार उनकी गठन की भी सुनें.

रचना प्रस्तुतिकरण हेतु बधाई.

Comment by Sarita Sinha on April 13, 2012 at 11:09pm


जवाहर भाई, नमस्कार, 

जब मैं ने ये नज़्म लिखी तो बाद में मुझे एक पुरानी फिल्म  की याद आई, जिस में अरुणा ईरानी हर बात पे कहती थी "........बाकी है....."
मुझे लगा कहीं आप लोग मजाक न बनाएं, लेकिन अच्छा हुआ किसी को याद नही आया...
Comment by Sarita Sinha on April 13, 2012 at 11:06pm

सतीश जी, धन्यवाद...

Comment by Sarita Sinha on April 13, 2012 at 10:14pm

प्रिय महिमा जी नमस्कार, 

नज़्म पसंद करने का शुक्रिया...
Comment by Sarita Sinha on April 13, 2012 at 10:12pm

राजीव जी नमस्कार,

आप को नज़्म पसंद आयी , इस के लिए शुक्रिया..
Comment by Sarita Sinha on April 13, 2012 at 10:10pm

भ्रमर जी, नमस्कार, 

नज़्म पसंद करने का शुक्रिया....
वैसे इस में सारे शब्द बहुत कॉमन से थे इस लिए मैं ने अलग से अर्थ नही लिखा...आगे से ध्यान रखूं गी....अज़ाब  का अर्थ होता है अभिशाप...

कृपया ध्यान दे...

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