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अंधे रास्ते
 

ये वो रास्ते है
जो अंधे हैं
ये कर देते हैं
मजबूर पथिक को
रुकने को कभी
तो कभी लौटने को.
करते हैं जो हिम्मत
बढ़ने की आगे,
लडखड़ा जाते हैं वो भी
कुछ कदम पर ही .
आखिर क्यों ?
चांदनी सा बदन
दिलों का मिलन 
कसमें वादे  
मज़बूत इरादे 
दुनिया से बगावत
डेटिंग व दावत
माँ -बाप, मित्र अपने
मखमली -रुपहले सपने 
हो जाते हैं धूमिल 
इन अंधे रास्तों में  ..
मेरे महबूब  
नहीं मालूम तुमें  
इन जबड़ों का
पूतना के,
जो सक्षम हैं
निगल जाने को
तेरे मासूम सपनें 
जो तुमनें संजोये
उस  जिंदगी  के 
जो दिखती  हैं
हर  युवा  दिल  को
मखमली  गुडिया सी 
फूलों  की बगिया सी
हमसफ़र मेरे !
जान ले तू ...
जाने को उस तक
गुजरना होता है
अंधे रास्ते से.
जिनमें बोये जाते हैं
कांटे शक के .
खोदी जाती हैं खाईयां
सम्प्रदायों की नफरत की .
बिछाई जाती हैं लैंड माइन
अमीरी के गुरुर की ,
जो अक्सर उड़ा देती है
धज्जियां हवा में ,
मुफलिस मोहब्बतों की
पर ... 
देना  होगा 
मार्ग स्वयं ही
हम दोनों को इन्हें
बस  ...
पकडे  रहना 
हाथ मेरा
छोडना मत
साथ मेरा
इसी तरह...
विश्वास  से...
जो बन कर बारूद
एक दिन ज़रूर
कर देगा चूर

उन सभी को
जो बनाये  हुए  है
इन प्रेम मार्गों को
अंधे रास्ते .  .

रचयिता : डा अजय कुमार शर्मा ( गीतकार डा अजय )





 

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 14, 2012 at 4:30am

बहुत सुन्दर ! बधाई अजय जी..

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 13, 2012 at 4:02pm

चांदनी सा बदन

दिलों का मिलन  

कसमें वादे   

मज़बूत इरादे  

दुनिया से बगावत 

डेटिंग व दावत 

अजय जी सुन्दर भाव प्रवाह और तारतम्य ..सुन्दर रचना ..जब आप जैसे प्रोफेसन के लोग साहित्य में आते है तो बहुत ख़ुशी होती है 

चंबा में भूकंप था अब ठीक है सब ?
भ्रमर ५ 


Comment by Dr Ajay Kumar Sharma on April 6, 2012 at 5:08pm

स्वागत है मनोज कुमार सिंह ' मयंक ' जी ..

Comment by मनोज कुमार सिंह 'मयंक' on April 4, 2012 at 9:00am

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