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कन्या भ्रूण हत्या ..हाइकू ( ५-७-५ )

शोख सी परी .

ज्यों बनी, खून सनी.

कोख में मरी.

 

( शोख = चंचल ; कोख = माँ का गर्भाशय / Uterus ) 

 

 रचयिता  : डा अजय कुमार शर्मा

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Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on March 3, 2012 at 12:32pm

यथार्थता के लिए बधाई स्वीकार करें

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 2, 2012 at 12:58pm

Bahut arth purn haiku, chand line pegaur farmaye:

मै तो बस एक हक चाहती हू,

भरुद में मै नहीं मरना चाहती हू,

लड़की हू तो क्या हुआ,
मै भी लड़ना चाहती हू.
Comment by Dr Ajay Kumar Sharma on March 2, 2012 at 12:33pm

धन्यवाद श्री गणेशजी " बागी " जी ..इस बार ४-५ हाइकू एक साथ प्रस्तुत करूँगा . राजेश कुमारी जी ..व बागी जी का आभार व सदर नमन .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 2, 2012 at 11:36am

ek sateek satya par likhi haaiku bahut umda.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 2, 2012 at 10:17am

डॉ साहब सुन्दर तुकांत हाइकु, यदि कई हाइकुओं को एकत्र कर (कमसे कम पांच) एक साथ पोस्ट किया जाय तो बेहतर होगा | बधाई आपको इस अभिव्यक्ति पर |

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