For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

त्यागपत्र (कहानी)

त्यागपत्र (कहानी)

लेखक - सतीश मापतपुरी

................ अंक -- एक ...................

'प्रबल प्रताप ज़िन्दावाद ' के नारे से पंडाल गूंज उठा. पी. पी.सिंह के नाम से जाने जानेवाले प्रबल प्रताप सिंह के मंत्री बनने के उपलक्ष में इस समारोह का आयोजन हुआ था. जनता - जनार्दन के बीच उनकी अच्छी -खासी लोकप्रियता थी. उनके दर्शनार्थ भीड़ उमड़ पड़ी थी. गिरधरपुर निर्वाचन -क्षेत्र की जनता - जनार्दन को नाज़ था कि वो प्रदेश को एक मंत्री देने का गौरव हासिल करने जा रहे हैं.सच ही तो है .............. सिंह साहेब ही वे पहले व्यक्ति थे जिन्होनें गिरधरपुर को यह सम्मान दिया था . इकट्ठी भीड़ उन्हें माल्यार्पण करने को बेताब थी.लोग उनके सामने तरह -तरह की मांगे रख रहे थे................. कोई कह रहा था- ' इस एरिया में एगो हासपिटल होना चाहिए '.............. एक ने कहा - 'सरकार! खेती के लिए सिंचाई का परमानेंट कुछ होना चाहिए ' तो एक ने कहा - ' माई -बाप, सिक्युरिटी के लिए पुलिस चौकी तो चाहिए ही चाहिए ' .......................... भोले -भाले लोग तो यही समझ बैठे थे कि सिंह साहेब इस क्षेत्र का पिछड़ापन दूर कर ही देंगे ....................... जहां तक तक प्रबल प्रताप की ईमानदारी की बात है, उनकी समता करने वाला इस क्षेत्र में शायद और कोई नहीं था. आम लोग उनकी दरियादिली के कायल थे .................... उनका विशिष्ट आचरण औरो के लिए उदाहरण -स्वरूप था. जनता की नज़रों में तो वे अब और महान हो चुके थे क्योंकि पिछले स्वास्थ मंत्री को हटाकर पार्टी ने उन्हें यह सम्मान दिया था.................... लेकिन, उन्हें यह मंत्री-पद कैसे मिला था, ये राज़ सिर्फ वे ही जानते थे ........... क्रमश:

अंक 2 पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करे

Views: 562

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by satish mapatpuri on October 30, 2011 at 8:28pm

आदरणीय सौरभ जी एवं गुरूजी, आभार ............ उम्मीद है आपकी प्रतिक्रिया एवं
मार्गदर्शन इसी तरह मिलता रहेगा.

Comment by Rash Bihari Ravi on October 30, 2011 at 2:16pm

kahani ki suruaat itna jandar hain mujhe pura biswas hain puri khani sandar hpgi


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 30, 2011 at 1:04pm

कहानी उम्मीद से है. बधाई.

Comment by satish mapatpuri on October 30, 2011 at 12:20pm
दिल से आभार अरुण जी. आपकी उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रयास करूँगा 
Comment by Abhinav Arun on October 30, 2011 at 12:13pm
आज की व्यवस्था की पोल खोलती रचना साबित होगी ये कथा !! बहुत अच्छी शुरुआत ! हार्दिक बधाई !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Tuesday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service