For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किसी को मत अपना मान परिंदे

किसी को मत अपना मान परिंदे
ये दुनिया बड़ी बेईमान परिंदे
मंदिर-मस्जिद ढूंढ़ रहा किसको
हर गली बिकता भगवान परिंदे
मोह का झूठा बंधन दुनियादारी
मत उलझा इसमें जान परिंदे
सांसों के पंख नहीं वश में अपने
ज़िस्मानी पंख झूठी शान परिंदे
मन की तिजोरी जब तक खाली
दौलत पर कैसा अभिमान परिंदे
जितना ऊपर उड़ता जीवन पंछी
खुलता सच का आसमान परिंदे
दुनिया में जो जीना चाहे सुख से
बंद रख आँखें और कान परिंदे
मेरी पुस्तक "एक कोशिश रोशनी की ओर "से

Views: 525

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 6, 2013 at 2:47pm

सच्चाई से साक्षात्कार कराती सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया आशा पाण्डेय ओझा जी 

Comment by vijay nikore on March 6, 2013 at 2:29pm

आदरणीया आशा जी:

 

सारी पंक्तियों में दुनिया की सच्चाई-ही-सच्चाई है।

इस अच्छी रचना के लिए बधाई।

 

विजय निकोर

Comment by anupama shrivastava[anu shri] on January 14, 2011 at 1:04pm
दुनिया में जो जीना चाहे सुख से
बंद रख आँखें और कान परिंदे
bahut sach....badhaiyan asha ji
Comment by Rash Bihari Ravi on December 10, 2010 at 4:32pm

khubsurat bemisal

Comment by Abhinav Arun on December 10, 2010 at 2:48pm

सुन्दर यथार्थ को अभिव्यक्ति देती गज़ल बधाई _

"मंदिर-मस्जिद ढूंढ़ रहा किसको
हर गली बिकता भगवान परिंदे"

सुन्दर-प्रभावी निवेदन |

Comment by Shaileshwar Pandey ''Shanti'' on October 18, 2010 at 9:55pm
Asha Ji, bahut hi sundar kavita hai...is se pada kar malum hota hai ki vastav me aap ka kaisa vichar hai...aap ko danyavaad jo itani sundar kavita saral shabdo me ham sabhi tak pahuchyi...ham abhari hai aap ke...

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 3, 2010 at 11:56pm
मोह का झूठा बंधन दुनियादारी
मत उलझा इसमें जान परिंदे,

बहुत बढ़िया कविता है आशा दीदी, सभी पक्तिया सधी हुई , बहुत सुंदर अभिव्यक्ति , धन्यवाद,
Comment by satish mapatpuri on August 3, 2010 at 1:10pm
मंदिर-मस्जिद ढूंढ़ रहा किसको
हर गली बिकता भगवान परिंदे
मोह का झूठा बंधन दुनियादारी
मत उलझा इसमें जान परिंदे
सादर नमन आशाजी, बड़ी ही सुन्दर रचना है. धन्यवाद.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
14 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service