For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जिंदगी फ़िर हमें उस मोड़ पे क्यों ले आई । याद आई वो घड़ी आँख मेरी भर आई ।
जिंदगी तेरे हर फ़साने को , मैंने कोशिश किया भुलाने को ।
मेरी आंखों से खून के आंसू , कब से बेताब हैं गिर जाने को ।
मेरे माजी को मेरे सामने क्यों ले आई । याद आई वो घड़ी आँख मेरी भर आई ।
मैंने बस मुठ्ठी भर खुशी मांगी , प्यार की थोड़ी सी ज़मीं मांगी ।
अपनी तन्हाइयों से घबड़ाकर , अपनेपन की कुछ नमीं मांगी ।
क्या मिला- क्या ना मिला फ़िर वो बात याद आई । याद आई वो आँख मेरी भर आई ।
जिंदगी मैंने तेरा रूप देखा , चाँदनी रात में भी धूप देखा ।
कौन कहता है हसीं है ज़िन्दगी , मैंने अब तक उसे कुरूप देखा ।
जिंदगी पाने की हमने बहुत सज़ा पाई । याद आई वो घड़ी आँख मेरी भर आई ।

: गीतकार ---- सतीश मापतपुरी
मो - 09334414611

Views: 373

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on July 25, 2010 at 10:42am
जिंदगी फ़िर हमें उस मोड़ पे क्यों ले आई । याद आई वो घड़ी आँख मेरी भर आई ।
जिंदगी तेरे हर फ़साने को , मैंने कोशिश किया भुलाने को ।

बहुत ही बढ़िया रचना है सतीश भैया......लाजवाब है.....
Comment by satish mapatpuri on July 19, 2010 at 3:02pm
आशाजी, योगराज प्रभाकरजी, बब्बन भाई, गुरूजी, आप सबको मेरी यह रचना पसंद आई और आपने हौसला- अफजाई की- इसके लिए आप सब को नमन और बधाई.
Comment by asha pandey ojha on July 18, 2010 at 2:18pm
waah mashaallha kya khoob geet likha hai .. kamal .. dil khush ho gya

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on July 17, 2010 at 10:45am
बहुत ही रवानी से भरा हुआ गीत कहा है आपने सतीश भाई, आनंद आया - जय हो
Comment by baban pandey on July 16, 2010 at 9:14pm
कौन कहता है हसीं है ज़िन्दगी , मैंने अब तक उसे कुरूप देखा ।
जिंदगी पाने की हमने बहुत सज़ा पाई । याद आई वो घड़ी आँख मेरी भर आई ।.
apna apna tajurva hai satish bhai ....
Comment by Rash Bihari Ravi on July 16, 2010 at 6:42pm
जिंदगी तेरे हर फ़साने को , मैंने कोशिश किया भुलाने को ।
मेरी आंखों से खून के आंसू , कब से बेताब हैं गिर जाने को ।
bahut sunder sandar dil bag bag ho gaya,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . रोटी
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
41 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post एक बूँद
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विरह
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर ।  नव वर्ष की हार्दिक…"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी । नववर्ष की…"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।नववर्ष की हार्दिक बधाई…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
Jan 1
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
Jan 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service