For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दान मनुज का परम धर्म और मानवता का गहना है.

दिखलाना कार्पण्य समय से पहले ही मरना है.

 

मंदिर के निर्माण हेतु चन्दा देना कोई दान नहीं.

हवन -कुण्ड में अन्न जलाना भी है कोई दान नहीं.

निज तर्पण के लिए विप्र को धन देना भी दान नहीं.

ईश्वर-पूजा की संज्ञा दे भोज कराना दान नहीं.

 

दान नहीं नाना प्रकार से मूर्ति -पूजन करना है.

दान मनुज का परम धर्म और मानवता का गहना है.

 

करना मदद सदा निर्धन की दान इसे ही कहते हैं.

जो पर दुःख शोकाकुल हो इंसान उसे ही कहते हैं.

देय वस्तु पर नेह जिसे नादान उसे ही कहते हैं.

विकलांगों से प्रेम जिसे भगवान उसे ही कहते हैं.

 

मानव सभी बराबर हैं यह मानवता का कहना है.

दान मनुज का परम धर्म और मानवता का गहना है.

 

महादलित को ह्रदय लगाकर स्नेह जताना दान है.

शोषित और असहाय हेतु हथियार उठाना दान है.

अत्याचारी -अधम -दस्यु को मार गिराना दान है.

घर पर आये हर मेहमाँ का सेवा -स्वागत दान है.

 

दान जरुरतमंदों की सूनी झोली को भरना है.

दान मनुज का परम धर्म और मानवता का गहना है.

 

किस लिए मनुज का जन्म हुआ इसका जिसको है ज्ञान नहीं.

जो उदासीन निज कर्मो से वह जीव है पर इंसान नहीं.

जिसके उर में लालच बसती उसके उर में ईमान नहीं.

अपनी महता के मद में धन देना धन है- पर दान नहीं.

 

मानवता से हटकर जीना असह्यपूर्ण दुःख सहना है.

दान मनुज का परम धर्म और मानवता का गहना है.

 

पर स्त्री को बहन समझना दानी का ही कर्म है.

पर की इज्ज़त पर मर जाना दानी का ही धर्म है.

जीव मात्र से प्रेम करो - धर्म-कर्म यह तेरा है

प्रिय, तुम्हारे कर कमलों में मानसरोवर मेरा है

 

  • गीतकार - सतीश मापतपुरी

Views: 525

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by satish mapatpuri on August 6, 2011 at 4:29pm

अरुणजी एवं गुरूजी, रचना की सराहना के लिए धन्यवाद.

Comment by Rash Bihari Ravi on August 6, 2011 at 3:43pm

पर स्त्री को बहन समझना दानी का ही कर्म है.

पर की इज्ज़त पर मर जाना दानी का ही धर्म है

 

bahut badhia sir ji

 

Comment by Abhinav Arun on August 6, 2011 at 2:04pm

दान धर्म की महिमा बताती यह रचना खूब है बधाई सतीश जी !

Comment by satish mapatpuri on August 5, 2011 at 10:14pm

गणेशजी और आशीषजी हौसलाअफजाई के लिए बहुत -बहुत धन्यवाद.

Comment by आशीष यादव on August 5, 2011 at 9:35pm

gyaan  के रस में सराबोर पंक्तिया| दान को सही ढंग से परिभाषित kar  रही है|
नमन


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 5, 2011 at 9:32am

करना मदद सदा निर्धन की दान इसे ही कहते हैं.

जो पर दुःख शोकाकुल हो इंसान उसे ही कहते हैं.

 

आहा ! एक एक पक्तियां जैसे चुन चुन कर सजाई गई हो, बहुत ही खुबसूरत भाव और उतना ही सुन्दर और सरल प्रवाह, बहुत बहुत बधाई सतीश मापतपुरी जी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
21 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Mar 1
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
Feb 28

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service