For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पाँच चुनावी दोहे (संंख्या - 2) // --सौरभ

हर चूहा चालाक है, ढूँढे  सही  जहाज
डगमग दिखा जहाज ग़र, कूद भगे बिन लाज

सजी हाट में घूमती, बटमारों की जात
माल-लूट के पूर्व ही, करती लत्तमलात

नाटक के इस मंच पर, पीटे जोकर ढोल
उलटबासियाँ चेंपता, चीखे - ’खोला पोल’

भौंरों को उम्मीद थी, खिलें उपट के फूल
पर वो आँधी चल पड़ी, धूल धूल बस धूल

दर्शक भौंचक हो रहे, देख पात्र के टेक
उठा-पटक तो मंच पर, पर्दा पीछे एक

*******
-सौरभ
*******
(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 2081

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 25, 2014 at 12:01pm

सामयिक और सार्थक के साथ ही रुचिकर दोहे ! हार्दिक बधाई श्री सौरभ भाई जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 24, 2014 at 9:27pm

आदरणीय सौरभ सर बहुत सुंदर l वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर बहुत ही सार्थक दोहे कहे हैं बहुत बहुत बधाई आपको


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 24, 2014 at 8:30pm

हर चूहा चालाक है, ढूँढे  सही  जहाज 
डगमग दिखा जहाज ग़र, कूद भगे बिन लाज 

वाह्ह वह्ह्ह्ह मजा आ गया दोहे पढ़ के सच में चुनावी माहौल में यही सब तो हो रहा है.बहुत- बहुत बधाई  इन शानदार दोहों के लिए| 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 24, 2014 at 2:35pm

आदरणीय राजेश मृदुजी, क्या सुन्दर वातावरण रच दिया आपने !

इन छंदों के मर्म में विद मलाइस टुवार्ड्स वन एण्ड ऑल  की तरंगें ही आलड़ित हैं. :-))

सादर आभार आदरणीय.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 24, 2014 at 2:32pm

रचना आपको रुचिकर लगी, मुझे भी बल मिला. हार्दिक धन्यवाद भाई जितेन्द्रजी.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 24, 2014 at 2:31pm

सादर धन्यवाद आदरणीय गिरिराजभाईजी.

Comment by राजेश 'मृदु' on March 24, 2014 at 1:15pm

बहुत ही धांसू दोहे हैं, ऐसे दोहों को पढ़ने का अपना ही आनंद है । यह आनंद ठीक वैसा ही है जब आम के बागान में उस वक्‍त जाने से मिलता है जब मंजरियों की मिठास पत्‍तों पर निढाल पड़ी रहती है और पागल हवा उसे यहां-वहां ढूंढती थक कर घास पर लेट जाती है, सादर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 24, 2014 at 10:15am

चुनाव के सामने आते ही सभी नेता व् दल अपनी उधेड़-बुन में लग जाते है,  चुनाव नही हुआ मानो नौटंकी हो गयी. आपका एक -एक दोहा इस नाटक की पोल खोल रहा है , हार्दिक बधाई आपको आदरणीय सौरभ जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 24, 2014 at 9:57am

आदरणीय सौरभ भाई , सटीक चुनावी दोहों की रचना की है , बहुत बढ़िया , मज़ा आगया॥ बधाइयाँ ॥

नाटक के इस मंच पर, पाया जोकर रोल
उलटबासियाँ चेंप कर कहता ’खोला पोल’ -- बहुत पसन्द आया , ढेरों बधाइयाँ ॥ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
10 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
10 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
10 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
11 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
16 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service