For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

स्वामी विवेकानंद की 150 वीं जन्म-शती के अवसर पर

 स वर्ष सारा राष्ट्र स्वामी विवेकानंद की 150 वीं जन्म-शती मना रहा है। स्वामी जी द्वारा दिया गया विचार-दर्शन युग-युगीन और शाश्वत है। उनकी दिव्य वाणी अमरता का महान् संदेश प्रदान कर रही है। स्वामीजी के दर्शन की आज भी उतनी ही प्रासंगिकता है जितनी विगत 20 वीं सदी में रही थी। मात्र 39 वर्ष की आयु में बीसवीं शताब्दी के आरंभ में उनका देहान्त हो गया था। तब से आज तक दुनिया बहुत कुछ बदल चुकी है, भारत स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पूर्ण यौवन की दहलीज पर खड़ा है और विभिन्न समस्याओं का सामना कर रहा है। ऐसी स्थिति में स्वामी जी द्वारा दिए गए संदेश पाथेय हो सकते हैं। स्वामी जी भारत को अमर भारत क्यों कहा करते थे। इस राष्ट्र का अपना जीवन उदेश्य है। भारत को भारत ही रहना होगा और तभी दुनिया का भला होगा। भारत का प्राण तत्व हिंदुत्व है और उसका पर्याय मानवता है। उनके शब्दों में- हम लोग हिन्दू हैं- यदि आज हिन्दू शब्द का कोई बुरा अर्थ लगाया जाता है, तो उसकी परवाह मत करो। हम अपने आचारण से दिखा दें कि संसार की कोई भी भाषा इससे महान् शब्द का आविष्कार नहीं कर पाई। शिकागो में दिये गए भाषण में उनका कहना था-यह वह भारत भूमि है, जो विश्व के दुखियों, उत्पीड़ितों, वंचितों की शरण-स्थली रही है।

स्वामी जी का विचार था कि समाज परिवर्तन सचरित्र और देशभक्त व्यक्तियों के माध्यम से होता है। जो मनुष्य समस्या को पैदा करता है, दरअसल वही समस्या का समाधान करने वाला भी होता है। वे कहते हैं कि मनुष्य में देवत्व को जगा दो- फिर देखो!  कि पृथ्वी पर स्वर्ग उतर आएगा। वास्तव में आज भारत की मूल समस्या सचरित्र नागरिक का न होना ही है। राजनेता भ्रष्ट हैं, स्वार्थी हैं, सत्ता-लोलुप हैं और संवेदनहीन हैं। ऐसा क्यों? अपने देश में लोकतंत्र है, जनता अपने प्रतिनिधि चुनती हैं। क्योंकि भारत के आम नागरिक का सचरित्र नहीं है। इसलिए स्वामी जी कहते थे कि मनुष्य निर्माण करो सब समस्याओं का समाधान हो जाएगा। उन्होंने एक स्थान पर कहा था कि रुपये आदि अपने आप ही आते रहेंगें । रुपये नहीं, मनुष्य चाहियें। मनुष्य सब कुछ कर सकता हैं। मनुष्य चाहिएं-जितने मिलें, उतना ही अच्छा। आज देश के पास प्रचुर भौतिक साधन है, पर सचरित्र व्यक्तियों का बहुत ही अभाव है। उनके अनुसार देश की समस्त शक्ति देव- मानव में निहित है। शस्त्रबल और शास्त्रबल व्यर्थ हैं, यदि साधारण समाज निर्बल और निस्तेज है। हमारे राजनेताओं ने देश की जनता को रोटी, कपड़ा और मकान देने का वादा किया, किंतु उनको चरित्र की दृष्टि से कंगाल कर दिया । स्वामी जी ने नवीन भारत की परिकल्पना में श्रमजीवियों को सर्वोपरि महत्व दिया। वे प्रबल समाजवादी थे, इसलिए नहीं कि समाजवाद आदर्श व्यवस्था है, बल्कि इसलिए कि वंचित खाली पेट से थोड़ा कुछ बेहतर जीवन मिले । उनका विश्वास था कि विश्व में देर सवेर क्रान्ति का आना अवश्यम्भावी है। उन्होंने दो देशों का नाम लिया था- रूस और चीन। यह भी सत्य है कि बीसवीं शताब्दी में ये क्रांतियां घटित भी हुई। 

स्वामी जी को विश्वास था कि सामान्य जन को संस्कारित करने के लिए शिक्षा ही साधन है। केवल जानकारी देना मात्र ही शिक्षा नहीं है। हम विचारों को आत्मसात कर सकें। वे शिक्षा में भारत के आदर्शवाद और पाश्चातय प्रौद्यौगिक के समन्वय के पक्षपाती थे। स्वामी जी ने भारत के संन्यासियों का आव्हान किया कि वे गावों में जाकर धर्म और लौकिक शिक्षा का दान दे। आज शिक्षा उपभोक्तावाद का शिकार बन चुकी है। स्वामी जी का चित्त भारत की निर्धनता से अत्यंत व्यथित था। उन्होंने एक स्थान पर कहा था तुमने पढ़ा होगा मातृदेवो भव, पितृदेवो भव, अर्थात माता पिता को भगवान समझो। किन्तु मैं कहता हूं कि दरिद्रदेवो भव, मूर्खदेवो भव। इन गरीब, अनपढ़ और दुखियों को अपना भगवान मानो। स्मरण रखो,  इनकी सेवा तुम्हारा धर्म हैं।  वर्तमान भारत में कई समस्याएं हैं- निर्धनता, निरक्षरता, जातिवाद और राष्ट्रीय एकता का अभाव परन्तु ये कोई नई समस्याएं नहीं हैं। हमें भी अपनी इच्छा शक्ति और चरित्रबल पर इससे निपटना ही होगा। चिन्ता का विषय यह है कि तथाकथित राजनेताओं ने वोट प्राप्ति के लिए समाज को विघटन के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। इसलिए स्वामीजी ने स्थिति को भांपकर पहले ही कह दिया कि हमें राजनीति में पश्चिम की पद्धति को स्वीकार नहीं करना चाहिए। -भारतवासी ही मेरे प्राण हैं, भारत के देवी-देवता मेरे ईश्वर हैं। भारतवर्ष का समाज  मेरे बचपन का झूला है. मेरे यौवन की फुलवारी और बुढ़ापे की काशी है। यह भाव ही हमें एकसूत्र में जोड़ सकता है। यह स्वामी जी का अमर सन्देश था।

स्वामी विवेकानंद के जीवन की शुरुआत देखें तो अद्भुत रोमांच होता है कि कैसे एक संघर्षशील नवयुवक धीरे-धीरे महागाथा में तब्दील होता चला जाता है। उनका जीवन हम सबके लिए प्रेरणास्पद है। अपनी महान मेधा के बल पर दुनिया में भारत की आध्यात्मिक पहचान बनाने में सफल हुए स्वामी विवेकानंद ने सौ साल पहले जो चमत्कार कर दिखाया  वह आज अत्यंत दुर्लभ है। यह ठीक है कि तकनीकी या आर्थिक क्षेत्र में कुछ उपलब्धियाँ अर्जित करके कुछ लोगों ने यश और धन अर्जित किया है, मगर वह उनका व्यक्तिगत लाभ है, लेकिन स्वामी विवेकानंद ने व्यक्तिगत लाभ अर्जित नहीं किया, वरन देश की साख बनाने में अपना योगदान किया। उनके कारण पूरी दुनिया भारत की ओर निहारने लगी। वेद-पुराणों के हवाले से उन्होंने पूरी दुनिया में भारतीय चिंतन की नूतन व्याख्या की। लेडीज एंड जेंटलमेन कहने की परम्परा वाले देश को उन्होंने यह ज्ञान पहली बार दिया कि बहनों और भाइयों जैसा आत्मीय संबोधन भी दिया जा सकता है। उन्होंने दुनिया को मनुष्य या परिवार का एक सदस्य समझने का संस्कार दिया क्योंकि स्वामी विवेकानंद को यही ज्ञान मिला था। यानी वसुधैव कुटुम्बकम का ज्ञान ।

Views: 1287

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 11, 2013 at 3:17pm

आदरणीय प्रभात कुमार जी,

भारत के इतिहास में स्वामी विवेकानंद जैसा युग पुरुष दूसरा नहीं..

वह सन्त जिसका मन आत्मा चिंतन देश प्रेम से सराबोर हो, विश्वबंधुत्व का सन्देश देने वो परम ज्ञानी हिंदुत्व का प्रतिनिधित्व करते हुए शिकागो सम्मलेन में एक विश्व क्रान्ति बन कर उभरा, जिसने कहा "इश्वर की सेवा करनी है तो गरीबों की सेवा करो" उनकी १५०वीं जन्म शती के सुअवसर पर उनके संदेशों को उनके मनन के तत्वों को यदि आधुनिक युग में हम आत्मसात कर सकें तो समाज में दृष्टिगत होते चैरित्रिक पतन की दिशा पलटी जा सकती है...

ऐसा प्रखर अनुकरणीय व्यक्तित्व मेरी नज़र में कोइ और नहीं... 

इस आलेख के लिए बहुत बहुत आभार.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 11, 2013 at 1:34pm

आदरणीय प्रभात जी, आपका कोई आलेख बहुत दिनों के बाद इस मंच पर प्रस्तुत हो रहा है यह देख कर आत्मीय प्रसन्नता हो रही है.

कहना न होगा, आपका यह लेख पूर्व-प्रस्तुत महापुरुषों के जीवन से लिए गये उद्धरणों पर आधारित लेखं की तरह ही गागर में सागर को चितार्थ कर रहा है.

स्वामीजी के विषय में संक्षेप में ही सही, लेकिन पूरी सार्थकता से आपने अत्यंत महत्त्वपूर्ण संदर्भ साझा किये हैं. स्वामी जी द्वारा शिकागो के विश्व धर्म संसद के मंच से किये गये संबोधन के ’Sisters and brothers of America'  इन पाँच शब्दों ने उपस्थित श्रोताओं ही नहीं संपूर्ण विश्व में सह-अस्तित्व के लिए वैचार क्रांति की नींव डाल दी थी. उस ऐतिहासिक संबोधन के बाद से भारत संपूर्ण विश्व केलिए फिर वही ग़ुलाम देश नहीं रह सका था. आगे सारा कुछ इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों में अंकित है.

स्वामीजी के प्रादुर्भाव के सार्धशताब्दि वर्ष (150 वर्ष) में आपके इस लेख की महत्ता और बढ़ जाती है.

सादर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 11, 2013 at 12:44pm

स्वामी विवेकानन्द अल्पायु में जो ज्ञान अर्जित कर दुनिया को दिया, उसकी मिशाल मिलना दुर्लभ है | प्रथम बार

"जेंटलमेन"की जगह विश्व धर्म सम्मलेन में "लेडीज एंड जेंटलमेन" संबोधित कर आत्मीय संबोधन में महिला को

भी बराबर सम्मान देने,विश्व में भारत के आध्यात्मिक पहचान फिर से बनाने, दरिद्र देवो भवः, मुर्ख देवो भवः का

का भाव देने, और वासुदेव कुटुम्बकम का सन्देश देने का जो कार्य उन्होंने किया, अविस्मरनीय है, और इससे

भारत की विश्व गुरु के रूप में पुनः प्रतिष्ठापित होने के रूप में देखा जाता है | ऐसे महान व्यक्तियों की चाहे शीघ्र 

बुलाने की चाहना ईश्वर को भी रहती है | स्वामी जी के बारे में सारगर्भित लेख के लिए हार्दिक बधाई श्री पी के रॉय जी 

Comment by Yogi Saraswat on March 11, 2013 at 11:42am

sundar lekh

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
23 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
Wednesday
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
Tuesday
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
Tuesday
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service