For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 22

1

देख लो महज़ ख़ाक है अब वो।
जो समझता रहा कि है रब वो।।

2

हो जरूरत तो खोलता लब वो।
बात करता है बे सबब कब वो।।

3

उठ सकेगा नहीं कभी अब वो।
बोझ भारी तले गया दब वो।।

4

ज़िन्दगी क्या है तब समझ आया।
मौत से रू ब रू हुआ जब वो।।

5

वक़्त आया हुआ बुरा जिसका।
रोकने से भला रुका कब वो।।

6

गर जरूरत पड़ी दिखाएगा।
जानता है हरेक करतब वो।

7

बात समझा नहीं मुहब्बत की।
नफ़रतों से भरा लबालब वो।।

सुरेन्द्र इंसान

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 70

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on Friday

आ. सुरेन्द्र भाई 
अच्छी ग़ज़ल हुई है 
बोझ भारी में वाक्य रचना बेढ़ब है ..ऐसे प्रयोग से बचें 
.
उठ सकेगा नहीं कभी अब वो।
जब नदामत तले गया दब वो ... नदामत -पश्चा:ताप 

सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on Friday

आदरणीय सुरेंदर भाई , अच्छी ग़ज़ल हुई है , हार्दिक बधाई आपको , गुनी जन की बातों का ख्याल कीजियेगा 

Comment by Aazi Tamaam on Thursday

अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो

3 बोझ भारी तले को सुधार की आवश्यकता है

Comment by surender insan on Thursday

आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत आभारी हूँ जी।।

आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूँ जी। बहुत बहुत शुक्रिया आपका।

सादर।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 14, 2025 at 12:27pm

आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई। 

मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता, ’महज’ को ’मह्ज’ लिखा जाना उचित होता. कि, उर्दू भाषा के लिहाज से इस शब्द का मात्रा भार २ १ है. 

एक बात् आअप और ध्यान में रखें. गजलों के मिसरे एक सीमा तक गद्यात्मक होते हैं. अच्छे अश’आर की यही पहचान है कि उसके उला-सानी के मिसरे गद्यात्मक हैं..

इस हिसाब से .. बोझ भारी तले गया दब वो .. बहुत सुगठित विन्यास प्रतीत नहीं होता. 

बहरहाल, एक अच्छी गजल के लिए हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलक राज कपूर साहब,  आपका तह- ए- दिल आभारी हूँ कि आपने अपना अमूल्य समय देकर मेरी ग़ज़ल…"
4 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"जी आदरणीय गजेंद्र जी बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीया ऋचा जी ग़ज़ल पर आने और हौसला अफ़जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
4 hours ago
Chetan Prakash commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय गिरिराज भंडारी जी । "छिपी है ज़िन्दगी मैं मौत हरदम वो छू लेगी अगर (…"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service