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अजय गुप्ता 'अजेय's Blog (5)

ग़ज़ल (आदमी सी फ़ितरतें हों आदमी की)

कौशिशें इतनी सी हैं बस शायरी की 

आदमी सी फ़ितरतें हों आदमी की

हद जुनूँ की तोड़ कर की है इबादत

ख़ूँँ जलाकर अपना तेरी आरती की

गोलियों की ही धमक है हर दिशा में

और तू कहता है ग़ज़लें आशिक़ी की!

भूले-बिसरे लफ़्ज़ कुछ आये हवा में

कोई बातें कर रहा है सादगी की

इतनी लंबी हो गयी है ये अमावस

चाँद भी अब शक्ल भूला चांदनी की

बूँद मय की तुम पिलाओ वक़्ते-रुखसत

आखि़री ख्वा़हिश यही है ज़िन्दगी…

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Added by अजय गुप्ता 'अजेय on October 7, 2020 at 5:00pm — 6 Comments

ग़ज़ल (और कितनी देर तक सोयेंगें हम)

पल सुनहरी सुबह के खोयेंगें हम

और कितनी देर तक सोयेंगें हम।

रात काली तो कभी की जा चुकी

अब अँधेरा कब तलक ढोयेंगे हम।

जुगनुओं जैसा चमकना सीख लें 

रोशनी के बीज फिर बोयेंगे…

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Added by अजय गुप्ता 'अजेय on September 19, 2020 at 11:20pm — 16 Comments

एक ग़ज़ल (वैलेंटाइन डे स्पेशल)

एक ग़ज़ल।

**********

बँध गई हैं एक दिन से प्रेम की अनुभूतियाँ

बिक रही रैपर लपेटे प्रेम की अनुभूतियाँ

शाश्वत से हो गई नश्वर विदेशी चाल में

भूल बैठी स्वयं को ऐसे प्रेम की अनुभूतियाँ

प्रेम पथ पर अब विकल्पों के बिना जीवन नहीं

आज मुझ से, कल किसी से, प्रेम की अनुभूतियाँ

पाप से और पुण्य से हो कर पृथक ये सोचिए

लज्जा में लिपटी हैं क्यों ये प्रेम की अनुभूतियाँ

परवरिश बंधन में हो तो दोष किसको दीजिये

कैसे पहचानेंगे…

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Added by अजय गुप्ता 'अजेय on February 14, 2019 at 1:54pm — 4 Comments

एक ग़ज़ल (हिलता है तो लगता ज़िंदा है साया)

हिलता है तो लगता ज़िंदा है साया

लेकिन चुप है, शायद गूँगा है साया

कहने में तो है अच्छा हमराही पर

सिर्फ़ उजालों में सँग होता है साया

सूरज सर पर हो तो बिछता पाँवों में

आड़ में मेरी धूप से बचता है साया

असमंजस में हूँ मैं तुमसे ये सुनकर

अँधियारे में तुमने देखा…

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Added by अजय गुप्ता 'अजेय on February 7, 2019 at 12:38pm — 3 Comments

ग़ज़ल (छिपा बैठा चितेरा है)

दिखे हरसूँ अँधेरा है

कहाँ जाने सवेरा है

 

नहीं दिखता कहीं रस्ता

कुहासा है घनेरा है

 

हुनर सीखें नए कैसे

गुरु बिन आज चेरा है

 

चुराता जा रहा साँसें

समय है या लुटेरा है

 

बनाता है जो इंसा को

ये जीवन वो ठठेरा है

 

नहीं शिकवा है साँपों से

डसे जाता सपेरा है

 

नहीं घर रास है मुझको

दिलों में ही बसेरा है

 

तेरा क्या और क्या मेरा

चले माया का फेरा…

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Added by अजय गुप्ता 'अजेय on December 10, 2018 at 7:30pm — 5 Comments

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Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
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