For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Raj Tomar's Blog (9)

तेरी आँखों के सिवा और नज़ारा क्या है

तेरी आँखों के सिवा और नज़ारा क्या है

तुझमे मिलती है खुशी और सहारा क्या है

तेरी यादों की कोई रुत तो नहीं होती, गो  

दिल तड़प तो रहा है ये इशारा क्या है

गम हैं तो और मुहब्बत के सिवा किस्मत में

और गम में किसी हो मौज इज़ारा क्या है

चाँद निकले है शब-ए-हिज़्र मगर कह दे तू

माह-ए-दह्र में कुछ भी यूँ हमारा क्या है

दिल जला है यूँ बहुत, खाक सिवा सर पे तू

तेरी यादों के सिवा और ये हारा क्या है !!



नोट:- मैंने ये गज़ल ३०मि में लिखी है.…

Continue

Added by Raj Tomar on January 4, 2013 at 2:00pm — 2 Comments

अब भी चाँद चमकता है

अहा!अब भी चाँद चमकता है
तुम अब भी प्यारी लगती हो.
यूँ अब भी प्यार भटकता है
तुम दुनिया सारी लगती हो !

वो कल के बीते ताने-बाने
तुम आज कहानी लगती हो
वो सुन्दर खाब के अफसाने
तुम जानी पहचानी लगती हो!

देखो,वो सरगम वो साज सभी
तुम मेरी निशानी लगती हो.
मुझे बीता कल सब याद अभी
तुम परियों की रानी लगती हो !! .

Added by Raj Tomar on October 17, 2012 at 11:00pm — No Comments

तेरी यादों का श्रृंगार सजा

तेरी यादों का श्रृंगार सजा
मैं भूले गीत सुनाता हूँ.
कृन्दन-रोदन के साज बजा
जीवन रीत सजाता हूँ.

वो वल्लरियों से पल
तेरी सुध से महके ऐसे
फिर से सिंचित कर उर में
मन को फिर समझाता हूँ.

कल बारिस की झनझन में
पैजनियाँ तेरी झंकार गई
मैं उन्हीं पुराने सुर में ही
फिर से गीत सजाता हूँ.

मन पुलकित होता बेसुध मैं
कम्पित करता तार वही
उसी भँवर में बार-बार मैं
घूम-घूम कर आता हूँ.!!

Added by Raj Tomar on October 10, 2012 at 7:22pm — 12 Comments

यूँ कभी कभी

   यूँ कभी कभी मन में उठती है तरंग 

   बार-बार कहता कुछ विचलित मन 

   मस्तिष्क पटल पर छा जाते वो साज सभी 

   कानों में आती गुंजन की आवाज़ कभी 

   दिखती है आँखों में बिजली सी चमक कहीं 

   लगता है खोया गया सर्वस्व यहीं !

   देती है भाँवर सी फेरी वो कभी ख्यालों में मेरे 

   न जाने क्या पूंछा करती वो मुझसे साँझ सबेरे 

   बालों को लहरा के हवा आके छू जाती है मुझको 

   अपलक वो देखा करती पता नहीं क्यों खुद को 

   खिल गई कली चपला सी…

Continue

Added by Raj Tomar on July 15, 2012 at 10:00pm — 5 Comments

मिरे खाबों के शबिस्ताँ

ये मेरी लिखी पहली ग़ज़ल है जो मैंने पूरे प्रयास से बह्र में लिखने की कोशिश की है.

  आप सभी जानकार लोगों से गुज़ारिश है कि तब्सिरा करके खामियां बताएं. आप सब का आभार. :)

  इसका वज़न कुछ ऐसा गिना है मैंने.

  1222/2122/1222/122

   

    मिरे खाबों के शबिस्ताँ में तेरा ही असर है

    गुलों की ख़ुश्बू तिरी नूर से रोशन नज़र है !



    कहाँ होती बात वो यूँ समंदर की अदा में

    सदफ से पूंछो…
Continue

Added by Raj Tomar on June 30, 2012 at 11:00pm — 3 Comments

सानिध्य में सुदूर

 

      सानिध्य में सुदूर हर बात से मजबूर 

      सजग चिंतित, विराग अनुराग !

      प्रतिकूल  मंचन, मुलाक़ात सज्जन 

      फिर वहीँ आचार विचार संचन !

      दिशाहीन नाव, अथाह सागर 

      मस्ती तूफ़ान ज्यों यादगार मगर !

      अद्वैत, असहाय , निरुपाय 

      कुमकुम  की कली तेज धुप अलसाय !

      मधुर मिलन फिर वही चिंतन 

      अनुराग अपार तेजधार बहाव !

      धूमिल क्षितिज , कलरव 

      अभिनव राग हज़ार बार !

      हरित निष्प्राण मंद वायु यार

 …

Continue

Added by Raj Tomar on June 20, 2012 at 10:58pm — 12 Comments

गुलाब

हँसता हुआ गुलाब बोला 

देखो मैं कितना सुन्दर हूँ !

कितना गोरा रंग मेरा ,

खुशबू का मैं घर हूँ !

कितना कोमल अंग मेरा ,

सहलाना तो छोडो !

पंखुडियाँ झड जाएँगी 

मुझको कभी न तोडो !



शाहों अमीरों का शान बना, पुष्पों का सरताज हूँ 

यूँ बहुत पुराना राजा हूँ मैं  फिर भी नया नया हूँ !

खाद रसों को चूस चूस कर इतना बड़ा हुआ हूँ 

ओढ़ भेड़ की खाल को मैं भेडिया बना खड़ा हूँ !



राधा के होंठों से मैं  लाली चुरा लाया हूँ 

राम के सिलीमुख को शूल बना बैठा…

Continue

Added by Raj Tomar on June 17, 2012 at 7:47pm — 7 Comments

तेरे संग के वो पल

तेरे संग के वो पल ..

सारे बीते हुए कल ..

सब याद आते हैं !! ..सब ..

वो चाँदी से पल ..

सोने में संग

सोने से पल ....

तेरे बालों की लट..

तेरा कहना वो चल हट .

सब याद आते हैं ..!!

तेरे होठों का रस ..

तेरा मिलना सरस ..

तेरा वो लड़ना  

मुझसे झूठा झगड़ना ..

सब याद आते हैं ..सब .!!

वो आँखे मिलाना

वो प्यार से बुलाना ..

पुरानी सभी बातें बताना ..

याद आते हैं ..सब ..

तेरे आंसू के धारे  

गिरते गालों सहारे ..…

Continue

Added by Raj Tomar on June 14, 2012 at 1:56pm — 6 Comments

रूपसी संध्या

अरुण करुण रतनार गगन में 

कुछ चंचल कुछ शांत भाव में लीन

अद्वैत रागिनी अलापती ...

धुल धूसित आभा से कुछ थकी मंशा से 

मधुर-मधुर करुण ध्वनि की रागिनी ! 



यों डगमग हलचल सरिता की लहरों सी

उथल पुथल कर गिरती चलती 

असफल पथिक की करुण कथा 

शांत-शांत शून्य में झाँकती

रोती मुस्कराती रूपसी

हरित धरा के अधर…

Continue

Added by Raj Tomar on June 10, 2012 at 8:16pm — 5 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
12 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 175 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है |इस बार का…See More
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service