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योगराज प्रभाकर's Blog – June 2015 Archive (2)

सुबह का भूला (लघुकथा)

इस बार बनवास सीता को मिला था। पीत वस्त्र धारण कर श्री राम और लक्ष्मण भी बन गमन हेतु तैयार खड़े थे। लेकिन सीता जी ने लक्ष्मण को साथ चलने से साफ़ मना कर दिया। अश्रुपूर्ण नेत्र लिए भरे हुए गले से लक्ष्मण ने पूछा: 

"क्या हुआ माते ?"

"कुछ नहीं हुआ लक्ष्मण,  तुम अयोध्या में ही रहोगे।" 

"मुझ से कोई भूल हो गई क्या ?"

"भूल तुमसे नहीं श्री राम से हो गई थी, जिसे सुधारने का प्रयास कर रही हूँ।"

"भूल और मर्यादा पुरुषोत्तम से ? मैं कुछ समझा नहीं माते।"

"उर्मिला के हृदय…

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Added by योगराज प्रभाकर on June 18, 2015 at 1:00pm — 20 Comments

भारत भाग्य विधाता (लघुकथा)

"अरे ताऊ इलेक्शन आ गए हैं, इस बार वोट किस को दे रहे हो ?"

"अरे हमें तो अभी ये ही नहीं पता कि इस बार ससुरा खड़ा कौन कौन है।"

"एक तो वही कुर्सी पार्टी वाला है।"

"अरे वो चोर ? छोडो, साले पूरा देश लूट कर खा गये।"

"नई पार्टी वाला भी खड़ा है।" 

"कौन ? वो जो आपस में लोगों को लड़ाता फिरता है? दफ़ा करो उसको।"

"एक नीली पार्टी वाली भी है न।"

"उसको वोट दे दिया तो पीछे वाली बस्ती सर पर मूतेगी हमारे।"

"तो फिर कामरेडों को वोट किया जाए?"

"कौन वो ज़िंदाबाद मुर्दाबाद…

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Added by योगराज प्रभाकर on June 2, 2015 at 12:25pm — 20 Comments

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